जब घुटने की चोट का जिक्र होता है, तो यह घुटने के जोड़ में किसी भी तरह की चोट, जैसे मोच, खींचाव या हड्डी का टूटना, को कहा जाता है. अक्सर लोग इसे केवल ‘कnee इज़ियर’ कहते हैं, लेकिन वास्तविकता में यह एक जटिल समस्या है जो चलने‑फिरने की क्षमता को सीधे प्रभावित करती है.
सबसे आम कारणों में खेल‑कूद के दौरान अचानक दिशा‑बदलाव, भारी वस्तु उठाते समय गलत मुद्रा या झटकेदार गिरावट शामिल हैं. इन स्थितियों में घुटने की चोट अक्सर दर्द, सूजन और मोड़ने‑में कठिनाई पैदा करती है. यहाँ फिजियोथेरेपी का एक ऐसी चिकित्सीय विधि है जो व्यायाम, स्ट्रेचर और मैन्युअल तकनीकों से जोड़ को स्थिर और लचीला बनाती है. इसे अक्सर ‘फिजियो’ कहा जाता है और यह चोट के बाद गति लौटाने में मुख्य भूमिका निभाता है.
जब दर्द लगातार रहता है या सूजन घटती नहीं, तो पेशेवर मदद लेनी चाहिए. इस समय आर्थोपेडिक सर्जरी की हड्डी, कार्टिलेज या लिगामेंट की गंभीर समस्याओं को सटीक उपकरणों से सुधारने की प्रक्रिया है का विकल्प सामने आता है. सर्जरी से टूटे लिगामेंट या मेनिस्कस को फिर से बनाना संभव है, जिससे जोड़ की स्थिरता बढ़ती है. लेकिन सर्जरी को अंतिम उपाय माना जाता है; अगर व्यायाम और ब्रेस से राहत मिलती है तो इसे टालना बेहतर रहता है.
प्रारम्भिक चरण में ठंडा पैक, आराम और उचित समर्थन बहुत फायदेमंद होते हैं. यहाँ ब्रेस या कसाव का घुटने को स्थिर करने, अनावश्यक हिलन‑डुलन को कम करने और दर्द को घटाने वाला उपकरण मदद कर सकता है. सही साइज और प्रकार चुनना ज़रूरी है; बाजार में नीली‑लाइट, एंटी‑वायरल और हाइड्रोकाइनीटिक ब्रेस उपलब्ध हैं, जो व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार भिन्न होते हैं.
सर्जरी या ब्रेस के बाद सबसे महत्वपूर्ण चरण रिहैबिलिटेशन कार्यक्रम है, जिसमें क्रमवार व्यायाम, शक्ति‑वृद्धि और संतुलन प्रशिक्षण शामिल होते हैं. यह कार्यक्रम शरीर को चोट से पूरी तरह उबरने, पुनः चोट लगने के जोखिम को घटाने और फिर से सामान्य जीवन‑शैली में लौटाने में मदद करता है. आमतौर पर एक फिजियोटेरापिस्ट द्वारा व्यक्तिगत योजना बनायी़ जाती है, जिसमें चलना, साइकिल चलाना या पानी में व्यायाम जैसे हल्के विकल्प होते हैं.
सही समय पर डॉक्टर से मिलना, दर्द की तीव्रता, सूजन का स्तर और गतिशीलता का मूल्यांकन करवाना जरूरी है. यदि डॉक्टर फिजियोथेरेपी या ब्रेस से ठीक नहीं हो रहा, तो वह आर्थोपेडिक सर्जरी की सलाह दे सकता है. लेकिन अधिकांश मामलों में, शुरुआती आराम, ब्रेस और नियमित फिजियो थेरेपी से अच्छे परिणाम मिलते हैं. इस दौरान घर पर हल्की स्ट्रेचिंग, बर्फ‑सिकाई और उचित पोषण को भी नहीं भूलें; प्रोटीन और विटामिन डी हड्डी के पुनर्निर्माण में सहायक होते हैं.
अब आप जानते हैं कि घुटने की चोट के कारण, लक्षण और उपचार के बेसिक कदम क्या हैं. आगे के लेखों में हम इन बिंदुओं को और विस्तार से देखेंगे – कसाव‑ब्रेस चुनने से लेकर फिजियो के खास व्यायाम, सर्जरी के बाद देखभाल और रिहैबिलिटेशन के व्यावहारिक सुझाव तक. पढ़िए और अपने घुटने को फिर से मजबूत बनाएँ.
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