गुरु गोबिंद सिंह – सिख धर्म के महान गुरु

गुरु गोबिंद सिंह के बारे में बात करते समय सबसे पहले उनका नाम गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु हैं, जिन्होंने खैलासे की स्थापना की और सिख पहचान को नया रूप दिया मिलता है। वही सिख धर्म एक ऐसा धार्मिक और सामाजिक ढांचा है जो समानता, साहस और सेवा पर ज़ोर देता है भी उनके जीवन से गहराई से जुड़ा है। उन्होंने 1699 में खैलासे सिख समुदाय का सैन्य‑आत्मिक संघ है, जो साहस और न्याय के लिए आज़ादी से लड़ता है की घोषणा की, जिससे सिखों ने अपना एकजुट पहचान बना ली। इन तीनों तत्वों के बीच का संबंध स्पष्ट है: गुरु गोबिंद सिंह ने सिख धर्म को नया रूप दिया, खैलासे ने उस रूप को कार्य में उतारा, और पंजाब की धरती पर उनका इतिहास आज भी जीवंत है।

इतिहास की किताबें बताते हैं कि गुरु गोबिंद सिंह ने केवल धार्मिक प्रवचन ही नहीं दिया, बल्कि सैन्य रणनीति, सामाजिक सुधार और लेखन में भी योगदान किया। उन्होंने पाँच काव्य ग्रन्थ लिखे, जो साहस और आध्यात्मिकता का मिश्रण हैं, और साथ ही क़ानूनी दस्तावेज़ ‘विसाखी‑बनाम‑डिक्ट’ तैयार किया, जिससे हर सिख को समान अधिकार मिला। इनके अलावा, उन्होंने बहादुरी से कई युद्धों में हिस्सा लिया, जिससे सिखों की रक्षा के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय भावना उत्पन्न हुई। इस प्रकार, उनके शिक्षाएँ, खैलासे का सिद्धांत, और पंजाब की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि आपस में जुड़े हुए हैं – एक ही कहानी के विभिन्न पहलू।

आप आगे क्या पढ़ेंगे?

नीचे आप विभिन्न लेखों की सूची पाएँगे जो गुरु गोबिंद सिंह के जीवन के अलग‑अलग पहलुओं को कवर करते हैं – उनके बचपन से लेकर खैलासे की स्थापना तक, सामाजिक सुधारों से लेकर उनके सैन्य अभियानों तक। चाहे आप इतिहासकार हों, धार्मिक उत्साही या बस जिज्ञासु पाठक, इन लेखों में आपको विस्तृत जानकारी और वास्तविक उदाहरण मिलेंगे जो इस महान गुरु की अनूठी छवि को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। इस संग्रह को पढ़ते हुए आप न सिर्फ उनके समय की समझ पाएँगे, बल्कि आज की दुनिया में उनके विचारों की प्रासंगिकता को भी महसूस करेंगे।

वीर बाल दिवस: वीरता और बलिदान की गाथा

वीर बाल दिवस: वीरता और बलिदान की गाथा

भारत में 26 दिसंबर, 2024 को वीर बाल दिवस मनाया गया, जो गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे बेटे ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह की वीरता का सम्मान है। इन दोनों का मुघल सेना द्वारा 1705 में बलिदान कर दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय समारोह में भाग लिया और बच्चों को सम्मानित किया, यह कहते हुए कि बच्चे भारत का भविष्य हैं।