जब हम हीटवेव, लगातार कई दिनों तक अत्यधिक तापमान वाला मौसम, गर्मियों की लहर की बात करते हैं, तो इसका सीधा संबंध तापमान, वायु में मापी जाने वाली गर्मी की डिग्री और जलवायु परिवर्तन, लंबे समय तक मौसम पैटर्न में बदलाव से है। इन तीनों की आपस में टकराव ही अक्सर हीटवेव को पैदा करता है। साथ ही, स्वास्थ्य जोखिम, उच्च ताप पर शरीर पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव और हीट इंडेक्स, तापमान और आर्द्रता का संयुक्त माप भी इस मौसमी घटना को समझने में मददगार होते हैं।
पहला सवाल अक्सर यही आता है – हीटवेव कब और क्यों बढ़ रहा है? जवाब सरल है: ग्लोबल वार्मिंग ने औसत तापमान को लगातार ऊपर धकेला है, जिससे कई क्षेत्रों में पाँच से दस दिनों तक लगातार 35°C से ऊपर का ताप दर्ज हो रहा है। इस बदलाव से न सिर्फ गर्मी की अवधि लंबी हुई, बल्कि तीव्रता भी बढ़ी। इसलिए, जब मौसम विभाग हीटवेव की भविष्यवाणी करता है, तो यह संकेत देता है कि हवा में नमी और ताप दोनों ही असामान्य स्तर पर हैं।
उच्च तापमान का सबसे बुरा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। शरीर को ठंडा रखने के लिये पसीना आता है, लेकिन अगर आर्द्रता भी अधिक हो तो पसीने का वाष्पीकरण रुक जाता है और शरीर की गर्मी निकलना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में स्वास्थ्य जोखिम में डिहाइड्रेशन, थकान, सिरदर्द और गंभीर मामलों में हीटस्ट्रोक शामिल होते हैं। बुजुर्ग, छोटे बच्चे और क्रॉनिक बीमारियों वाले लोग विशेष रूप से vulnerable होते हैं। इसलिए, हीटवेव के दौरान पानी का सेवन बढ़ाना और हल्का कपड़ा पहनना जरूरी है।
हीटवेव की तीव्रता को समझने के लिये हीट इंडेक्स एक उपयोगी टूल है। यह सिर्फ तापमान नहीं, हवा की आर्द्रता को भी जोड़ता है, जिससे वास्तविक असहजता का स्तर पता चलता है। उदाहरण के तौर पर, यदि तापमान 38°C है लेकिन आर्द्रता 70% है, तो हीट इंडेक्स लगभग 45°C तक पहुंच सकता है, जिससे शरीर पर तनाव बहुत बढ़ जाता है। कई शहरों में अब हीट इंडेक्स के आधार पर चेतावनी जारी की जाती है, जिससे लोग पहले से तैयार हो सकें।
हीटवेव से निपटने के लिये कुछ आसान बचाव उपाय अपनाए जा सकते हैं। पहला, दिन के सबसे गर्म समय—सवा 11 बजे से 4 बजे तक—बाहर की कम से कम गतिविधि रखें। अगर काम या यात्रा अनिवार्य हो तो हल्का, हल्के रंग का कपड़ा पहनें और धूप से बचाव के लिये टोपी या छाता इस्तेमाल करें। दूसरा, घर में एसी या पंखा चलाते रहें, लेकिन खिड़कियाँ बंद रखें ताकि ठंडी हवा बाहर न जाए। तीसरा, फल और सब्जियों में अधिक पानी वाले खाद्य पदार्थ—खरबूजा, तरबूज, खीरा—खाएं, जिससे शरीर को अतिरिक्त हाइड्रेशन मिल सके। अंत में, डॉक्टर की सलाह से इलेक्ट्रोलाइट्स वाले पेय या नमकीन स्नैक्स ले सकते हैं, खासकर अगर पसीना बहुत अधिक निकल रहा हो।
हीटवेव न सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि कृषि, जल संसाधन और ऊर्जा की मांग पर भी भारी असर डालता है। लगातार गर्मी से फसलें सूखने लगती हैं, जिससे किसान को नुकसान झेलना पड़ता है। साथ ही, जलभरण स्तर गिर जाता है, जिससे पेयजल की कमी और जलसंभावनाओं में तनाव बढ़ता है। ऊर्जा की बात करें तो एसी चलाने के कारण बिजली की खपत बढ़ती है, जो अक्सर पावर कट का कारण बनती है। इस सबको देखते हुए कई राज्य ने हीटवेव चेतावनी प्रणाली स्थापित की है, जिसमें रेडियो, टीवी और मोबाइल एप्प्स पर रीयल‑टाइम अलर्ट भेजा जाता है।
अब आप जानते हैं कि हीटवेव क्या है, किस कारण से बढ़ रहा है, और इसके दुष्प्रभावों से कैसे बचा जा सकता है। नीचे दी गई लेख सूची में आप तापमान, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य जोखिम और हीट इंडेक्स से जुड़ी विस्तृत कवरेज पाएँगे—हर लेख में व्यवहारिक टिप्स, केस स्टडी और नवीनतम डेटा मौजूद है। अपनी राह आसान बनाने के लिये इन संसाधनों को पढ़ें और अगले गर्मी के मौसम में तैयार रहें।
अमेरिका के मिडवेस्ट क्षेत्र में भीषण हीटवेव का असर, करीब 60 मिलियन लोग चपेट में। मौसम विभाग ने इलिनॉय, आयोवा, कंसास समेत कई राज्यों में खतरनाक तापमान के लिए चेतावनी जारी की है। लोग रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और ज्यादा उमस से परेशान हैं और सुरक्षा के उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।