जब बात मनीष सिसोदिया, एक अनुभवी पत्रकार और प्रमुख समाचार विश्लेषक. भी शामिल हो, तो उनका काम भारत एवं विश्व की ताज़ा खबरों को सटीकता से पेश करना है। M. Sisdhiya के नाम से भी जाने जाते हैं, वे क्रिकेट, दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल, जिसमें भारत प्रमुख भूमिका निभाता है, राजनीति, देशी‑विदेशी नीतियों, चुनावों और सरकार के कामकाज़ को सम्मिलित करता है और आर्थिक बाजार, शेयर, बॉन्ड, कमोडिटी और विदेशी मुद्रा की अंतःक्रिया जैसे क्षेत्रों में गहरी समझ रखते हैं। उनका विश्लेषण अक्सर "समाचार का व्यापक दायरा" और "तुरंत लागू होने वाले सन्देश" प्रदान करता है।
मनीष सिसोदिया के लेखों में दर्शाया गया है कि क्रिकेट सिर्फ खेल नहीं, बल्कि राष्ट्रीय भावना और आर्थिक प्रभाव दोनों को जोड़ता है। इसी तरह, राजनीति, नीति‑निर्माण और चुनावी रणनीति के पहलू खेल परिणामों को प्रभावित कर सकती है, जैसे टीम चयन में सरकारी प्रायोजन। आर्थिक बाजार की गति भी इन दो क्षेत्रों से पूरी तरह जुड़ी रहती है; बड़े खेल इवेंट्स विज्ञापन खर्च बढ़ाते हैं, जिससे स्टॉक मूल्य में उतार‑चढ़ाव आता है। इस त्रिकोणीय संबंध को समझने से पाठक को खबरों की गहराई का पता चलता है।
साथ ही, मनीष सिसोदिया धार्मिक और सांस्कृतिक घटनाओं, जैसे त्योहारी कैलेंडर, करवा चौथ या दीवाली की आर्थिक असर को भी रिपोर्ट करते हैं। ये घटनाएं उपभोक्ता खर्च, यात्रा और स्थानीय व्यवसायों पर सीधा असर डालती हैं, जिससे बाजार की दिशा निर्धारित होती है। उन्होंने कई बार बताया है कि मौसम, बाढ़ या प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियाँ भी खेल और राजनीति को प्रभावित करती हैं – जैसे डार्जिलिंग बाढ़ से पर्यटन उद्योग पर असर या मौसम के कारण क्रिकेट मैच अवधि बदलना।
उपर्युक्त सभी विषयों को मिलाकर मनीष सिसोदिया का पोर्टफोलियो एक व्यापक समाचार संसाधन बनाता है। नीचे आपको वे सभी ताज़ा अपडेट मिलेंगे जो उन्होंने लिखे हैं – चाहे वह क्रिकेट का नया परिणाम हो, राजनीति में बदलाव, आर्थिक बाजार की चाल या सप्ताह के प्रमुख त्यौहार की जानकारी। ये संग्रह आपको सिर्फ खबरें नहीं, बल्कि हर खबर के पीछे के कारण‑परिणाम की स्पष्ट तस्वीर भी देगा।
सुप्रीम कोर्ट से आबकारी घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग व भ्रष्टाचार मामले में मनीष सिसोदिया को 17 महीनों बाद जमानत मिली है। उन्हें 10 लाख रुपये के निजी बांड और दो समान राशि के जमानतदारों के साथ रिहा किया गया है। पासपोर्ट जमा करना पड़ेगा और आरोपी को जांच अधिकारी के सामने हाजिर होना होगा।