जब हम मुस्लिम समुदाय, भारत में रहने वाले इस्लाम धर्म के अनुयायियों का समूह है, जो भाषा, संस्कृति और धार्मिक प्रथाओं में विविधता रखता है. Also known as इस्लामी समुदाय, it समाज में कई सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं को प्रभावित करता है.
मुस्लिम समुदाय शरिया कानून जैसे धार्मिक ढाँचे को अपनाता है, जिसका पहला उल्लेख शरिया, इस्लाम के कानूनी सिद्धान्त हैं जो व्यक्तिगत जीवन, व्यापार और सार्वजनिक अधिकारों को नियंत्रित करते हैं में मिलता है। शरिया निहित है कि यह व्यक्तिगत अधिकारों को सुरक्षा देता है और सामुदायिक व्यवस्था में स्थिरता लाता है। इसके अलावा, भारत में मुस्लिम जनसांख्यिकी का अध्ययन करना जरूरी है: भारत में मुस्लिम जनसंख्या, लगभग 14.2% राष्ट्रीय जनसंख्या को मिलाती है, प्रमुख रूप से उत्तर‑पूर्व, मध्य और पश्चिमी राज्यों में एकत्रित. इस जनसंख्या का सामाजिक योगदान शिक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक धरोहर के क्षेत्रों में उल्लेखनीय है।
हिंदू‑इस्लाम संबंध हिंदू‑इस्लाम संबंध, भारत के दो प्रमुख धर्मों के बीच का ऐतिहासिक और समकालीन संवाद है, जिसमें सहयोग, संघर्ष और आपसी समझ के कई पहलू शामिल हैं को दर्शाता है। इतिहास में कई समृद्ध सहयोगी चरण रहे हैं, जैसे किराना व्यापार, संगीत और वास्तुशिल्प। आज के समय में संवाद के मंच, अंतरधार्मिक मंच और सामाजिक संगठनों के प्रयास इन संबंधों को स्थिर रखने में मदद करते हैं। यह संबंध एक सामाजिक त्रिकोण बनाता है: मुस्लिम समुदाय, शरिया, और हिंदू‑इस्लाम संबंध एक‑दूसरे को प्रभावित करते हुए भारत की सामूहिक पहचान को आकार देते हैं।
नीचे दी गई लेख-सूची में आप मुस्लिम समुदाय से जुड़े राजनीतिक बदलाव, आर्थिक पहल, सांस्कृतिक उत्सव और सामाजिक मुद्दों की विस्तृत कवरेज पाएँगे। चाहे आप शरिया के व्यावहारिक प्रभाव, जनसांख्यिकीय आँकड़े या द्वीधर्मीय संवाद की नवीनतम ख़बरों में रुचि रखते हों, यहाँ सब कुछ एक ही जगह पर है। इस क्रम में आप विभिन्न दृष्टिकोणों को समझेंगे और अपने ज्ञान को अपडेट रख सकेंगे। अब आगे बढ़ें और हमारी चयनित ख़बरों के माध्यम से इस जटिल लेकिन रोचक सामाजिक ताने‑बाने को बेहतर ढंग से जानें।आपको आगे क्या पढ़ने को मिलेगा?
नए विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्ड में सुधार लाना है, जो भारत में मुस्लिम धार्मिक स्थलों और संपत्तियों का प्रबंधन करता है। विधेयक में वक्फ बोर्ड के अधिकारों में कटौती, शिया, सुन्नी और अहमदिया मुसलमानों के लिए अलग-अलग बोर्ड बनाने और इनमें गैर-मुस्लिमों की एंट्री की प्रविधानों का प्रस्ताव किया गया है। इन प्रावधानों के असर और धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन पर इसके प्रभावों का विश्लेषण इस लेख में किया गया है।