प्रीति सूदन बनीं नई यूपीएससी अध्यक्ष
1983 बैच की आईएएस अधिकारी प्रीति सूदन को अगले वर्ष 1 अगस्त से संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। अपनी गहन प्रशासनिक समझ और व्यावसायिक दूरदृष्टि के लिए जानी जाने वाली सूदन अब यूपीएससी के सर्वोच्च पद पर आसीन होंगी। यह पद उन्होंने मनीष सोनी के इस्तीफे के बाद ग्रहण किया है, जिन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपना पद छोड़ दिया था।
प्रीति सूदन का प्रशासनिक सफर लंबे और प्रभावी रहा है। उन्होंने जुलाई 2020 में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सचिव के पद से सेवानिवृत्ति ली थी, जहां उन्होंने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रमों जैसे 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' और 'आयुष्मान भारत' की शुरुवात और क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, उन्होंने खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, और रक्षा मंत्रालय में भी सेवाएं दी हैं।
यूपीएससी भारत का एक प्रमुख संवैधानिक निकाय है, जिसका मुख्य कार्य देश की शीर्ष प्रशासनिक सेवाओं के लिए योग्य उम्मीदवारों की भर्ती और चयन करना है। 1926 में स्थापित इस आयोग का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह विभिन्न सरकारी सेवाओं के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।
मानी सोनी के इस्तीफे के बाद सूदन की नियुक्ति
सूदन की नियुक्ति पूर्व अध्यक्ष मनीष सोनी के इस्तीफे के बाद हुई, जिन्होंने व्यक्तिगत कारणों से पद छोड़ा था। सोनी के ऊपर कुछ आरोप लगे थे, जिनमें पद का दुरुपयोग और प्रमाणपत्रों की प्रमाणिकता से संबंधित मुद्दे शामिल थे। सूदन की नियुक्ति के साथ ही आयोग को एक नए दृष्टिकोण और ऊर्जा से संचालित करने की उम्मीद है।
प्रीति सूदन ने अपने कार्यकाल के दौरान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारतीय हितों का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने विश्व बैंक, 'फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल' के कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज-8 (COP-8) और 'पार्टनरशिप फॉर मैटरनल, न्यूबोर्न एंड चाइल्ड हेल्थ' जैसी प्रमुख संस्थाओं में भारत की ओर से अपना योगदान दिया है।
उनकी व्यापक अनुभव और प्रभावी कार्यशैली से यूपीएससी को नई दिशा मिलेगी। सूदन इस पद को संभालने वाली दूसरी महिला होंगी, उनके पहले 1996 में आर एम बाथेवा यह पद संभाल चुकी हैं। अप्रैल 2025 में 65 वर्ष की आयु पूरी होने तक सूदन का कार्यकाल रहेगा, जिससे वह इस महत्वपूर्ण पद पर अपनी संभव सभी संवैधानिक योग्यता पूरी करेंगी।
यूपीएससी की स्वतंत्रता और महत्व
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भारत के प्रमुख संवैधानिक निकायों में से एक है, जिसकी स्थापना 1926 में हुई थी। इसका मुख्य कार्य भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों की चयन की प्रक्रिया की निगरानी करना और यह सुनिश्चित करना है कि यह प्रक्रिया बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के, स्वतंत्र और निष्पक्ष हो। यूपीएससी विभिन्न सरकारी सेवाओं के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है, जिनमें आईएएस, आईपीएस, आईएफएस आदि शामिल हैं। इसके अलावा, यह साक्षात्कार और अन्य चयन प्रक्रियाओं के माध्यम से भी उम्मीदवारों का चयन करता है।
यूपीएससी की स्वतंत्रता और निष्पक्षता इसे एक महत्वपूर्ण संस्थान बनाती है। इसके कारण, अनेक युवा उम्मीदवार अपनी मेहनत और योग्यता के बल पर सर्वोच्च सरकारी सेवाओं में अपना स्थान बना पाते हैं। प्रीति सूदन के नेतृत्व में अब उम्मीद है कि यूपीएससी के इन मानकों को और भी सुदृढ़ किया जाएगा।
प्रीति सूदन की नियुक्ति पर प्रशासनिक क्षेत्र में खुशी की लहर है। विभिन्न वर्गों में उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जा रही है। यूपीएससी जैसे महत्वपूर्ण संस्थान की कमान संभालना उनके लंबे और बेदाग प्रोफेशनल करियर का एक और मानदंड है।