आयकर रिटर्न फॉर्म को सरल बनाने की नई पहल, CBDT ने दिसम्बर तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा

सित॰, 26 2025

सरलीकृत आयकर रिटर्न फॉर्म का परिचय

केंद्रीय आयकर बोर्ड (CBDT) ने इस साल एक बड़े परिवर्तन की घोषणा की है: आयकर रिटर्न के फॉर्म को पूरी तरह संशोधित करके करदाताओं के लिये आसान बनाना। इस पहल का मूल उद्देश्य जटिल फॉर्मेट को हटाकर, भरने की प्रक्रिया को तेज़ और त्रुटिरहित बनाना है। योजना के अनुसार, नई और सरल फॉर्मों को दिसंबर 2025 तक पूरी तरह तैयार किया जायेगा, जिससे हर वर्ष के लाखों करदाता लाभान्वित हो सकेंगे।

अस्सेसमेंट इयर 2025‑26 के लिए आज तक सात विभिन्न ITR फॉर्म जारी किए जा चुके हैं। इन फॉर्मों में ITR‑1 और ITR‑4 को विशेष रूप से छोटे व मध्यम आय वाले करदाताओं के लिये 29 अप्रैल, 2025 को लॉन्च किया गया। ITR‑7, जो ट्रस्ट और चैरिटी संस्थाओं के लिये है, उसे 9 मई, 2025 को नोटिफ़ाई किया गया। इन सभी फॉर्मों में कई नई सुविधाएँ जोड़ी गई हैं, जिनमें सूचीबद्ध इक्विटी निवेश से मिले कैपिटल गेन की विस्तृत रिपोर्टिंग शामिल है।

  • ITR‑1: वेतनभोगी और पेंशनर, आय ≤ 50 लाख रुपये.
  • ITR‑2: बिना व्यापार आय के व्यक्ति व HUF, पर कैपिटल गेन है.
  • ITR‑3: व्यापार या प्रोफेशन की आय वाले करदाता.
  • ITR‑4: विशिष्ट व्यापार आय वाले निवासी व्यक्ति.
  • ITR‑5: फर्म और LLP.
  • ITR‑6: कंपनियां.
  • ITR‑7: ट्रस्ट, चैरिटेबल संस्थान, आदि.

इन फॉर्मों में मुख्य बदलाव 'कैपिटल गेन' के विवरण को अधिक स्पष्ट बनाना है, जिससे करदाता अपने शेयर‑बाजार लेन‑देनों को सही तरीके से डिक्लेयर कर सकें। यह परिवर्तन बजट‑2024 में लाए गए दीर्घकालिक कैपिटल गेन टैक्स नियमों के साथ सामंजस्य रखता है, जो 23 जुलाई, 2024 से प्रभावी हुए थे।

नए प्री‑फ़िल्ड फ़ॉर्म और डेडलाइन में बदलाव

नए प्री‑फ़िल्ड फ़ॉर्म और डेडलाइन में बदलाव

CBDT ने एक और बड़ी सुविधा की भी घोषणा की है – प्री‑फ़िल्ड फॉर्म। इस व्यवस्था में आय‑डाटा, टैक्स डिडक्शन, और टी‑डिस्काउंट इत्यादि जानकारी सिस्टम द्वारा पहले से भर दी जाएगी। करदाता केवल उन हिस्सों को verify करके, आवश्यक सुधार कर फॉर्म को साइन‑ऑफ़ कर सकते हैं। इससे न सिर्फ समय बचता है, बल्कि गलतियों की संभावना भी घटती है।

फाइनेंस एक्ट‑2024 ने नया टैक्स रेज़िम को डिफ़ॉल्ट विकल्प बना दिया है। यह रेज़िम व्यक्तियों, हिंदू अंडिवाइडेड फैमिलीज़ (HUF), एसोसिएशन ऑफ़ पर्सन्स (AOP), बॉडी ऑफ़ इंडिविजुअल्स (BOI) और आर्टिफ़िशियल जुरिडिकल पर्सन्स (AJP) पर लागू होती है। फिर भी, यदि कोई करदाता मानता है कि पुराना रेज़िम उनके लिये बेहतर है, तो वह फ़ॉर्म में दी गई विकल्प का उपयोग करके डिफ़ॉल्ट को बदल सकता है।

व्यापार या प्रोफेशन की आय वाले करदाताओं को यह विकल्प चुनने के लिये Form‑10‑IEA को डेडलाइन से पहले जमा करना होगा। इस प्रक्रिया की विस्तृत मार्गदर्शिका फॉर्म के साथ ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे सभी वर्गों के करदाता इस विकल्प को आसानी से समझ सकें।

भुले नहीं जाना चाहिए कि वित्त मंत्रालय ने 27 मई, 2025 को आयकर फाइलिंग की अंतिम तिथि को 15 सितंबर, 2025 तक बढ़ा दिया। यह 45 दिनों का अतिरिक्त समय करदाताओं को नए फॉर्म, प्री‑फ़िल्ड डेटा और रे‑जिम स्विचिंग को समझने में मदद करेगा। पिछले वर्षों में कई बार करदाता कठिन फ़ॉर्मलिटी और समय सीमा के कारण देर से या गलत फाइलिंग कर बैठे थे। अब इस विस्तार के साथ, उन्हें शांति से अपनी टैक्स रिटर्न जमा करने का अवसर मिलेगा।

आख़िरकार, इस व्यापक सुधार पैकेज का लक्ष्य है कि आय‑कर प्रणाली को आम नागरिकों के लिये अधिक सुलभ, पारदर्शी और उपयोगकर्ता‑मित्र बनाया जाए। जब सभी फॉर्मों में एक ही प्लेटफ़ॉर्म के तहत प्री‑फ़िल्ड जानकारी, स्पष्ट निर्देश और सरल छूट विकल्प होंगे, तो न केवल टैक्स कलेक्शन की दक्षता बढ़ेगी, बल्कि कर अदा करने की वफादारी भी मजबूत होगी। सरकार का यह कदम दर्शाता है कि वह बजट‑2024 की प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ा रहा है, जिसमें कर राहत एवं प्रक्रिया सुधार दोनों को प्राथमिकता दी गई है।