डार्जिलिंग में बाढ़ और घनघोर ढहाव: 23 मौतें, मिरिक पुल ढह गया

अक्तू॰, 6 2025

डार्जिलिंग जिला में सोमवार, 5 अक्टूबर 2025 को अनिवार्य बारिश ने एक ही बार में 23 लोगों की जान ले ली, जिनमें सात छोटे बच्चे भी शामिल हैं। सर्सली, जसबीरगाँव, मिरिक बस्ती, धार गाँव (मेची), नागरकटा़ और मिरिक लेक के आसपास बाढ़ और पहाड़ी ढहाव ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया।

घटनास्थल पर बस्ती‑बस्ती बिखरे घरों के बीच, डूड़या आयरन ब्रिज का संपूर्ण ढहना सबसे बड़़ी क्षति बन गया, जिससे सैकड़ों पर्यटक पूरी तरह फँस गए और प्रमुख क़ुर्सेओंग‑मिरिक रोड बंद हो गया।

पृष्ठभूमि और मौसम संबंधी स्थिति

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 4 अक्टूबर से निरंतर 300 मिमी से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की थी, जिसे उन्होंने ‘लाल चेतावनी’ जारी करके बताया। इस एक ही रात में नॉर्थ बंगाल के कई क्षेत्रों में 100 से अधिक ढहाव दर्ज हुए, जिससे डार्जिलिंग के पहाड़ी इलाकों में बाढ़ का माहौल बना। विदेशी सहायता के बिना, यह आपदा स्थानीय प्रशासन की क्षमताओं पर भारी दबाव डाल रही है।

घटनाक्रम और प्रभावित क्षेत्र

पहली खबरें राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के माध्यम से मिली, जब उन्होंने बताया कि मिरिक के दुर्दशा बस्तियों में 11 लोग मारे गये और सात घायल निकाले गये। डार्जिलिंग उपजिला अधिकारी रिचर्ड लेपचा ने कहा, ‘रात के समय अचानक भारी बारिश ने पहाड़ों को अस्थिर कर दिया, जिससे ढहाव बड़े पैमाने पर हुए।’

वहीं नॉर्थ बंगाल पुलिस के डीजी और आयजी राजेश कुमार यादव ने बताया कि टांके‑टूटे जलसेतुओं और राष्ट्रीय राजमार्ग NH‑10 तथा NH‑717 के हिस्से पूरी तरह बंद हो गये हैं, जिससे दूरस्थ गांवों का संपर्क टूट गया है।

मुख्य क्षति और सामाजिक प्रभाव

  • डूड़या आयरन ब्रिज के ढहने से मिरिक‑कुर्सेओंग मार्ग पर 200 से अधिक पर्‍यटकों की यात्रा बाधित हुई।
  • मुख्य परिमार्जन कार्यों में घरों का ध्वस्त होना, जलसंधियों की कटाव और सड़कों का धँसना शामिल है।
  • अतिरिक्त बाढ़ के कारण भूटान के ताला जलविद्युत डैम में जलस्तर बढ़ गया, जिससे जल स्तर का अतिरिक्त दबाव उत्पन्न हुआ।
  • सिक्किम के कई क्षेत्रों का संपर्क पूरी तरह बंद हो गया, जिससे चिकित्सा और आपूर्ति के रास्ते कट गए।
सरकार और राहत कार्रवाई

सरकार और राहत कार्रवाई

नॉर्थ बंगाल विकास मंत्री उदयन् घुहा ने स्थिति को ‘संकटपूर्ण’ कहा और कहा, ‘हजारों परिवार निराशा में हैं, परन्तु हम सारी संभव मदद करेंगे।’ लगभग दो सौ दायित्व वाले कर्मियों के साथ NDRF ने रात‑दिन बचाव कार्य जारी रखे हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री कामताबांदेरी ने भी यह बताया कि ‘बड़ी बाढ़ के कारण कई गांव बाढ़ के पानी में डुब गए हैं, हम तुरंत बचाव टीमों को तैनात कर रहे हैं।’ उन्होंने मंत्रियों को निर्देश दिया कि खाद्य, प्राथमिक चिकित्सा और तम्बू जैसी त्वरित राहत सामग्री तुरंत पहुँचाई जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रभावित परिवारों को सांत्वना जताई और कहा, ‘केन्द्र सरकार पूरी तरह से इस आपदा में मदद करेगी, वित्तीय सहायता और पुनर्वास योजनाओं को तुरंत लागू किया जाएगा।’

भविष्य की चुनौतियाँ और अनुमानित दिशा‑निर्देश

भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जलभौतिकी और पर्वतीय उपायों को सुदृढ़ करना जरूरी होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा की तीव्रता पहले से अधिक हो रही है, इसलिए स्थानीय प्रशासन को ‘सतत निगरानी’ और ‘प्राथमिक चेतावनी प्रणाली’ को लागू करना चाहिए।

इसी बीच, नॉर्थ बंगाल में पुनर्निर्माण कार्य शुरू हो रहा है, लेकिन इसके लिए लगभग 500 मिलियन रुपये की बजट आवश्यकता है। राज्य सरकार ने अनुरोध किया कि केंद्र अतिरिक्त फंड प्रदान करे, ताकि पुनःस्थापना गति से हो सके।

मुख्य तथ्य

मुख्य तथ्य

  1. घटनाक्रम: 5 अक्टूबर 2025, डार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल
  2. हताहत: 23 मृत (7 बच्चे), कई घायल
  3. मुख्य क्षति: डूड़या आयरन ब्रिज ढहना, NH‑10 और NH‑717 बंद
  4. प्रमुख अधिकारी: उदयन् घुहा, कामताबांदेरी, नरेंद्र मोदी, रिचर्ड लेपचा, राजेश कुमार यादव
  5. सहायता: NDRF, राज्य एवं केंद्रीय सरकार, स्थानीय पुलिस, स्वयंसेवी समूह

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

डूड़या आयरन ब्रिज के ढहने से स्थानीय यात्रियों पर क्या असर पड़ा?

ब्रिज के बिना मिरिक‑कुर्सेओंग रोड पूरी तरह बंद हो गया, जिससे सैकड़ों पर्यटक और स्थानीय नागरिक अपने घरों तक पहुँच नहीं पा रहे हैं। वैकल्पिक मार्ग बहुत लंबा है, इसलिए लोग यात्रा में कई घंटे अतिरिक्त समय व्यतीत कर रहे हैं।

कौन‑कौन से क्षेत्रों में सबसे अधिक नुकसान हुआ?

सर्वाधिक नुकसान सर्सली, जासबीरगाँव, मिरिक बस्ती, धार गाँव (मेची) और नागरकटा़ में दर्ज किया गया है। इन जगहों पर कई घर ध्वस्त हो गये, राहें कट गईं और बुनियादी सुविधाएँ पूरी तरह बाधित हो गईं।

सरकार ने कितनी आर्थिक सहायता का इंकित किया है?

वर्तमान में, पश्चिम बंगाल सरकार ने 500 करोड़ रुपये की प्रारंभिक पुनर्निर्माण निधि की मांग की है। केंद्र सरकार ने तत्काल राहत के लिए 200 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं, जबकि दीर्घकालीन पुनर्वास के लिए अतिरिक्त फंड की बात चल रही है।

भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध निर्माण पर रोक, जल निकासी के बेहतर सिस्टम, सतत मॉनिटरिंग के लिए वायुमंडलीय सेंसर तथा जल्दी चेतावनी प्रणाली का कार्यान्वयन इनकी मुख्य उपाय होंगी। जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए बाढ़‑रोधी जलाशयों का निर्माण भी आवश्यक है।

सिक्किम के साथ जुड़ी आपदा का प्रभाव क्या है?

सिक्किम के कई गांव पूरी तरह से बाढ़ में डूब चुके हैं, जिससे आवागमन बंद हो गया। चिकित्सा और आपूर्ति सेवाओं का ठहराव हो गया है, इसलिए केंद्र ने विशेष डाक्टर और राहत सामग्री भेजने का आदेश दिया है।

10 टिप्पणि

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    subhashree mohapatra

    अक्तूबर 6, 2025 AT 02:03

    डार्जिलिंग में बाढ़ के कारण कई गांव पूरी तरह कट गए हैं, जिससे लोगों को भोजन और दवाओं की गंभीर कमी का सामना करना पड़ रहा है।
    मिरिक पुल का ढहना न केवल पर्यटन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि स्थानीय किसानों की फसलों तक पहुंच भी बाधित हो गई है।
    आगामी गर्मी में जल स्तर बढ़ने से और अधिक नुकसान हो सकता है, इसलिए तुरंत जल निकासी प्रणाली को सुदृढ़ करना ज़रूरी है।
    स्थानीय प्रशासन को आपातकालीन हेलीकॉप्टर सहायता की व्यवस्था करनी चाहिए, क्योंकि कई गाँव तक सड़क मार्ग बंद है।
    अंत में, इस तरह की आपदाओं में सरकारी फंडिंग से अधिक निजी एवं अंतर्राष्ट्रीय NGOs की मदद का भी महत्व बढ़ जाता है।

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    ajay kumar

    अक्तूबर 14, 2025 AT 14:51

    भाईसाहब, सही बात कही है तुमने, लेकिन ये धीरज वाले लोग फंसते ही रुक नहीं सकते।
    अगर जल्दी से जल्दी टेंट और साफ पानी की व्यवस्था हो जाए तो असर कम हो जाएगा।
    अभी के लिए हम सबको मिलके गांव वाले को मदद पहुंचानी चाहिए, कोई भी छोटा-सा योगदान काम आता है।

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    Poorna Subramanian

    अक्तूबर 23, 2025 AT 03:39

    डूड़या आयरन ब्रिज का क्षणिक पतन क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को नष्ट कर दिया है इस कारण पर्यटन उद्योग को बड़ा नुकसान हुआ है तथा स्थानीय जनजीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
    सरकार को तुरंत अस्थायी पुल या फेरी सेवा स्थापित करनी चाहिए ताकि लोग अपने घरों तक पहुँच सकें।
    इसके अतिरिक्त, आपदा प्रबंधन में जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक रणनीति बनानी आवश्यक है।

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    Rajesh Soni

    अक्तूबर 31, 2025 AT 15:27

    वाह, बिल्कुल सही कहा आपने, अब तो फॉरेंसिक टीम को भी भेजना पड़ेगा कि कैसे "इन्फ्रास्ट्रक्चर फेल्योर" हुआ।
    जैसे ही हम "रीएल-टाइम मॉनिटरिंग" लागू करेंगे, ऐसा लगता है कि बाढ़ खुद ही डिसेबल मोड में चली जाएगी।
    फिर भी, यह सब "बिग डेटा एनालिटिक्स" पर निर्भर करेगा कि भविष्य में हम कितनी देर तक "डिजास्टर रेसिलिएंस" को सपोर्ट कर पाएँगे।

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    KABIR SETHI

    नवंबर 9, 2025 AT 04:15

    डार्जिलिंग की पहाड़ी भूरे ढांचे में बार-बार ऐसी बाढ़ आना अब नई बात नहीं है, परन्तु इस बार बारिश की मात्रा पहले से बहुत अधिक रही है, जिससे पहाड़ी ढहाव की संभावना तीव्र हो गई है।
    स्थानीय लोग अक्सर कहते हैं कि "भू-आकृति को समझो, नहीं तो पानी तुम्हें खा जाएगा", और यही आज सच्चा साबित हुआ।
    अधिकांश घरों की नींव ही कमजोर थी, इसलिए झटके में दीवारें गिर गईं।
    सरकार को जल निकासी के लिये गड्ढे और बायो-सुईडेज़ खोलने की ज़रूरत है, वरना अगली बार और भी बड़ी तबाही देखनी पड़ेगी।

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    rudal rajbhar

    नवंबर 17, 2025 AT 17:03

    आपका विश्लेषण तो ठीक है, लेकिन अब वक्त आ गया है कि केवल बात नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाएं।
    सरकार को तुरंत हेलीकॉप्टर एरियल सप्लाई शुरू करनी चाहिए और उन क्षेत्रों में मोबाइल बेस स्टेशनों की स्थापना करनी चाहिए जहाँ संचार कट गया है।
    इसी के साथ, जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध दीर्घकालिक नीति बनाकर जल निकासी और बाढ़-रोधी बंधनों को प्राथमिकता देनी होगी।
    अन्यथा, यही लूप हर साल दोहराएगा और जनजीवन लगातार प्रभावित होगा।

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    tanay bole

    नवंबर 26, 2025 AT 05:51

    प्रभाषीय रिपोर्ट दर्शाती है कि बाढ़ के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग NH‑10 तथा NH‑717 पूरी तरह बंद हो गए हैं, जिससे आपातकालीन सेवाओं का संचालन कठिन हो गया है।
    स्थानीय प्रशासन को त्वरित रूप से वैकल्पिक रूट की पहचान करके ट्रैफिक को पुनः व्यवस्थित करना चाहिए।
    इस प्रक्रिया में GIS मैपिंग का उपयोग करके प्रभावित क्षेत्रों का सटीक आंकड़ा तैयार किया जा सकता है।

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    santhosh san

    दिसंबर 4, 2025 AT 18:39

    सही कहा आपने, लेकिन ऐसी तकनीकी बातें आम जनता समझ नहीं पातीं।
    हमें इसे आसान शब्दों में बताना चाहिए, जैसे "रास्ता बंद, तो नई राह खोजो"।
    तभी लोग जल्दी से जल्दी सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकेंगे।

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    Ajay Kumar

    दिसंबर 13, 2025 AT 07:27

    अरे यार, यह बाढ़ तो सीधा फिल्म जैसा है, लेकिन एंट्री नहीं दी।
    जब झरना मज़े में गिरा तो सबके बूट भी पानी में लोटपोट!
    अब ज़रूरी है कि सरकार के पास 'रैपिड रिस्पांस टीम' हो, वरना बाढ़ के बाद बंधी रोटी का मज़ा भी उधड़ जायेगा।

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    Rahul Verma

    दिसंबर 21, 2025 AT 20:15

    सच बात तो ये है कि सरकार की सतही मदद के पीछे छुपा कोई बड़ा एजेंडा है
    वो चाहते हैं कि हम सब डर के आगे झुक जाएँ और उन्हें अपना सारा बजट देता रहे
    जैसे ही बाढ़ आती है, वही समय में उनके कॉरपोरेट दोस्त बड़े मुनाफ़े कमाते हैं

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