दीवाली 2025: 18‑23 अक्टूबर का कैलेंडर, तिथि व महत्त्वपूर्ण मुहूर्त

अक्तू॰, 19 2025

जब दीवाली 2025भारत की घोषणा हुई, तो घर‑घर में रोशनी और उत्साह की लहर दौड़ गई। इस पाँच‑दिन के उत्सव की शुरुआत दानत्रे से होती है, जो 18 अक्टूबर को है और धन की देवी लक्ष्मी व स्वास्थ्य के देवता धनवंतरी की आराधना के साथ मनाया जाता है। मुख्य दीवाली 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि में आती है, जब गणेशलक्ष्मी की पूजा शाम को की जाती है। यह प्रतिबिंब है कि अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत, जैसा कि पुराणिक किंवदंतियां बताती हैं।

दीवाली 2025 का कैलेंडर और प्रमुख तिथियाँ

दीवाली के पाँच प्रमुख दिन नीचे दी गई सूची में संक्षेपित हैं:

  • दानत्रे (18 अक्टूबर): धन एवं स्वास्थ्य की कामना के साथ सोना, चांदी या बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
  • नरक चतुर्दशी / छोटी दीवाली (19 अक्टूबर):
  • मुख्य दीवाली (20 अक्टूबर, शाम 3:44 बजे से 21 अक्टूबर शाम 5:54 बजे तक): राम के अयोध्या लौटने की याद में लक्ष्मी‑गणेश पूजा।
  • गौरवधन पूजा (22 अक्टूबर): कृष्ण द्वारा पहाड़ उठाकर गाँव वालों की रक्षा की कथा स्मरणीय।
  • भाई दूज (23 अक्टूबर): भाई‑बहन के बंधन को तिलक एवं उपहारों से मनाया जाता है।

पौराणिक कथा एवं धार्मिक महत्व

दीवाली का मूल भाग कई पुरांतों में बंटा हुआ है। सबसे प्रचलित कथा है राम का रावण को परास्त करने के बाद अयोध्या में लौकिक दीप जलाना। इसी के साथ कृष्ण ने नरकट (नरक) को पराजित करने के बाद नरक चतुर्दशी मनाई जाती है, और गौरवधन पूजा में वह पहाड़ उठाकर बरसाते वर्षा से बचाव करता है। इन कहानियों में बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश छुपा है, जो होली‑दीवाली के साथ हर भारतीय के दिल में गूंजता है।

देशव्यापी प्रभाव और सरकारी छुट्टी

भारत के सरकार ने 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर पर कायाली अवकाश (gazetted holiday) घोषित किया है। इस दिन सभी सरकारी दफ़्तर, स्कूल व बड़े पैमाने पर निजी संस्थानों की कार्यवाही बंद रहती है। छोटे‑बड़े शहरों में बाजारों में भी भारी भीड़ और खरीद‑फरोख़्त का माहौल बनता है, जहां लोग औज़ात, मिठाई और सजावट की वस्तुओं पर खर्च करते हैं। वित्तीय आंकड़ों के अनुसार, दीवाली के दौरान देश में रिटेल खर्च पिछले साल की तुलना में लगभग 12 % बढ़ा था, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जाता है।

क्षेत्रीय विविधताएँ और स्थानीय रीति‑रिवाज

भारत की विविधता के कारण दीवाली के अलग‑अलग रूप मिलते हैं। महाराष्ट्र में दानत्रे से पहले गोवठा द्वादशी मनाया जाता है, जहाँ गायों को पूजा किया जाता है और उनका पोषण किया जाता है। बंगाल में बहुशाली दीपावली के रूप में यह पाँच‑दिनों का उत्सव गाड़ी‑घोड़ी (फायरक्रैक) और रंगोली से सजाया जाता है। दक्खिन में पोंगल के साथ तालाबों में पंखुड़ियों से 'लाई' बनाकर जलाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में दहन‑संस्कार (कांड) के बाद घरों की छत पर पटाखे फोड़ना रिवायती है।

आगामी वर्ष के लिए तैयारियाँ और संभावित चुनौतियाँ

जैसे‑जैसे 2025 की दीवाली नजदीक आती है, राज्य‑स्तर के प्रशासन ने ढीले सुरक्षा उपायों की घोषणा की है। दिल्ली में 15,000 पुलिस अधिकारियों को सौंपा गया है, जबकि मुंबई में 2,000 कर्तव्य में अतिरिक्त एजेंसियों को शामिल किया गया है। पर्यावरणीय समूहों ने एयर क्वालिटी में गिरावट से बचने के लिए पटाखों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है। इन सुझावों को सरकार ने आंशिक रूप से स्वीकार किया है, जिससे इस साल कम 'फटाफट' (firecrackers) का प्रचलन देखने को मिल सकता है।

भविष्य की दृष्टि: संस्कृति और आर्थिक उन्नति का संगम

दीवाली केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण अवधि बन चुकी है। ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म पर दीवाली बिक्री 30 % तक बढ़ती है, और छोटे व्यापारियों के लिये यह राजस्व का प्रमुख स्रोत है। साथ ही, डिजिटल भुगतान की बढ़ती प्रवृत्ति ने नकद‑लेन‑देन को कम किया है, जिससे सुरक्षित लेन‑देन संभव हो रहा है। इस तरह, दीवाली 2025 नयी तकनीक, परम्पराओं और सामाजिक सामंजस्य का मिश्रण बनाकर भारतीय जीवन में नई रोशनी लेकर आएगी।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

दीवाली 2025 में सबसे महत्वपूर्ण तिथि कौन सी है?

मुख्य दीवाली 20 अक्टूबर को शाम 3:44  बजे से 21 अक्टूबर 5:54  बजे तक अमावस्या तिथि में आती है, जिस दौरान लक्ष्मी‑गणेश पूजा की जाती है। यही दिन राष्ट्रीय अवकाश घोषित है।

द्रव्यमान (गोल्ड) खरीदना दानत्रे से क्यों शुभ माना जाता है?

हिंदू शास्त्रों में धन की देवी लक्ष्मी के साथ सोने‑चांदी को जोड़ना समृद्धि लाने वाला माना गया है। इसलिए दानत्रे को ‘धन दिवस’ कहा जाता है और इस दिन सोने‑चांदी का व्यापार बढ़ जाता है।

भारत सरकार ने दीवाली के दौरान कन्फ़ायरेंस में क्या कदम उठाए हैं?

सरकार ने 20 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया है, सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई है, और पर्यावरणीय कारणों से कुछ क्षेत्रों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया है।

गौरवधन पूजा का आर्थिक प्रभाव कैसे दिखता है?

गौरवधन पूजा के दौरान मिठाई और सजावट की वस्तुओं की बिक्री में 15 % तक वृद्धि होती है, जिससे स्थानीय कारीगरों और ट्रेडियों को लाभ मिलता है।

भाई दूज कब मनाया जाता है और उसका क्या महत्व है?

भाई दूज 23 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह भाई‑बहन के बंधन को सम्मानित करने का दिन है, जहाँ बहनें भाई पर तिलक करती हैं और उनके स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना करती हैं।

12 टिप्पणि

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    Krishna Saikia

    अक्तूबर 19, 2025 AT 00:11

    हमारी प्राचीन परम्पराएँ कभी क्षीण नहीं हो सकतीं, दीवाली का उजाला हमारे स्वतंत्रता के जश्न जैसा है। इस पावन समय में हर घर को स्वच्छता और एकता की मिसाल बनना चाहिए। लोग एक-दूसरे की मदद करके इस त्यौहारी माहौल को और भी ख़ास बनाते हैं। हमारी संस्कृति की रक्षा में हम सबका योगदान अनिवार्य है।

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    Meenal Khanchandani

    अक्तूबर 19, 2025 AT 04:21

    दीवाली का मूल उद्देश्य अंधकार पर प्रकाश की जीत है और यही सिद्धांत हमें हर साल फिर याद दिलाता है। दानत्रे के दिन लोहा और सोने‑चांदी के लेन‑देन में शुभकामनाएँ छिपी होती हैं। इस त्यौहार को सही रूप में मनाने से मन की शुद्धि भी होती है।

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    Apurva Pandya

    अक्तूबर 19, 2025 AT 08:31

    धनत्रे का महत्व सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी है, इसलिए इस दिन खरीद‑फरोख्त में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होना चाहिए :)

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    Nishtha Sood

    अक्तूबर 19, 2025 AT 12:41

    दीवाली के पाँच दिन हमें एक साथ लाते हैं, चाहे हम कहीं भी हों। छोटी‑छोटी खुशियों को बड़े दिल से अपनाना ही असली त्यौहार है। हर घर में लाइट्स की चमक हमारे भीतर की आशा को जगाती है। इस वर्ष हम सबको सुरक्षित और स्वस्थ त्योहार की शुभकामनाएँ।

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    arun great

    अक्तूबर 19, 2025 AT 16:51

    दीवाली के आर्थिक प्रभाव को समझने के लिए हमें मैक्रो‑इकोनोमिक फ्रेमवर्क को लागू करना आवश्यक है।
    पहले चरण में रिटेल सर्ज परिप्रेक्ष्य से उपभोक्ता खर्च में 12% की वृद्धिविशेष को क्वांटिफ़ाई किया गया है।
    दूसरे चरण में ई‑कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म की बिक्री ट्रेंडलाइन दर्शाती है कि ऑनलाइन ट्रैफ़िक 30% तक बढ़ा है।
    तीसरे चरण में डिजिटल भुगतान का एडॉप्शन रेट 25% अधिक है, जिससे नकद लेन‑दान में कमी आई है।
    चौथे चरण में सुरक्षा उपायों का इम्प्लीमेंटेशन, जैसे 15,000 पुलिस बल की तैनाती, सामाजिक स्थिरता को सुनिश्चित करता है।
    पाँचवें चरण में पर्यावरणीय ऑडिट ने फायरक्रैक उपयोग में 20% कमी को वैध माना है।
    छठे चरण में इनपुट‑आउटपुट मॉडल से स्पष्ट है कि छोटे व्यवसायों की आय में 15% की वृद्धि हुई।
    सातवें चरण में राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा ने श्रम बाजार में लिक्विडिटी को नियंत्रित किया।
    आठवें चरण में लॉजिस्टिक सप्लाई चेन को तेज़ किया गया, जिससे डिलीवरी टाइम 10% घटा।
    नौवें चरण में विज्ञापन खर्च में 8% वृद्धि दर्शाती है कि ब्रांड एंगेजमेंट बढ़ी है।
    दसवें चरण में सामुदायिक गहनता को बढ़ाने हेतु स्थानीय सर्किट्स में सहयोगात्मक इवेंट्स आयोजित किए गए।
    ग्यारहवें चरण में डेटा एनालिटिक्स ने यह सिद्ध किया कि सामाजिक मीडिया का इनफ्लुएंसर एंगेजमेंट ट्रैफिक को 5% बढ़ाता है।
    बारहवें चरण में जोखिम प्रबंधन फ़्रेमवर्क ने संभावित शोरू से वॉटरएफ़्लो को कम किया।
    तेरहवें चरण में समग्र पैरामीटर शोकेस करता है कि दीवाली 2025 आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों दृष्टिकोण से एक सिनर्जिस्टिक प्रभाव डाल रहा है।
    अंत में यह स्पष्ट है कि पारंपरिक और डिजिटल दोनों मॉडलों का संगम दीवाली को एक एन्हांस्ड इकोनॉमिक इवेंट बनाता है।

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    Anirban Chakraborty

    अक्तूबर 19, 2025 AT 21:01

    हम सबको दीवाली में सुरक्षित पटाखे नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा को अधिकतम करने पर ध्यान देना चाहिए। जनसंख्या के बड़े हिस्से का मानना है कि पर्यावरणीय नियम पालन से फुहारी का कोहरा कम होगा। इससे हम सबका स्वास्थ्य भी बेहतर रहेगा।

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    Anurag Kumar

    अक्तूबर 20, 2025 AT 01:11

    दीवाली की तैयारी में हर कोई व्यस्त है, लेकिन याद रहे कि सहयोगी भावना ही असली चमक लाती है। आपसी मदद से गाँव‑शहर दोनों में बाजार का माहौल खुशनुमा रहता है। छोटा‑बड़ा खर्च दोनों ही संतुलित रहना चाहिए।

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    Prashant Jain

    अक्तूबर 20, 2025 AT 05:21

    बहनों को भाई‑बहन के बंधन को बढ़ावा देना चाहिए, यही त्यौहार का सच्चा सार है।

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    DN Kiri (Gajen) Phangcho

    अक्तूबर 20, 2025 AT 09:31

    इतना तेज़ी से सारे कार्यक्रम चल रहे है और हमें एक-दूसरे को सपोर्ट करना है त्रुटियों को सहना है यही सच्ची दोस्ती है

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    Yash Kumar

    अक्तूबर 20, 2025 AT 13:41

    दीवाली के खर्चे को देख कर लगता है लोग छूट नहीं देंगे, पर असल में सादगी ही जिंदादिल रहती है

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    Aishwarya R

    अक्तूबर 20, 2025 AT 17:51

    मेरे हिसाब से इस साल की गोरवधन पूजा शायद अनदेखी रह गई, क्योंकि आम जनता को वास्तव में नहीं पता

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    Vaidehi Sharma

    अक्तूबर 20, 2025 AT 22:01

    दीवाली के ज़रिये हम सबको एक साथ लाने की कोशिश में थोड़ा ज़्यादा ही मज़ा ले रहे हैं, चलो मिलकर इसे और रंगीन बनाते हैं :)

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