इंग्लैंड महिला क्रिकेट टीम ने लॉर्ड्स में भारत को 8 विकेट से हराया, DLS से सीरीज़ 1-1; ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ चर्चा में

अग॰, 28 2025

बारिश, ड्रामा और तेज चेस: लॉर्ड्स पर इंग्लैंड की जोरदार वापसी

बारिश, अजीब अपील और लगातार बदलती परिस्थितियाँ—लॉर्ड्स के दूसरे ODI में सब कुछ था। नतीजा: इंग्लैंड महिला क्रिकेट टीम ने भारत को 8 विकेट से हराकर तीन मैचों की सीरीज़ 1-1 से बराबर कर दी। मुकाबला 19 जुलाई 2025 को खेला गया और डकवर्थ-लुईस-स्टर्न (DLS) पद्धति के तहत इंग्लैंड का लक्ष्य 24 ओवर में 115 रन तय हुआ, जिसे मेज़बान टीम ने 18 गेंदें शेष रहते हासिल कर लिया।

इंग्लैंड के लिए दिन की शुरुआत गेंदबाज़ी से हुई और सोफी एक्लेस्टोन ने कमाल कर दिया। बाएं हाथ की इस स्पिनर ने 10 ओवर में 3/27 झटके और भारत की मध्यक्रम की रीढ़ तोड़ दी। सबसे अहम विकेट रहा भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर का—कट खेलने की कोशिश में वे बोल्ड हो गईं। उनके आउट होते ही भारत का रन-रेट और योजना दोनों लड़खड़ा गए।

इंग्लैंड की पीछा करने की रणनीति साफ थी—जोखिम कम, स्ट्राइक रोटेशन ज़्यादा और विकेट हाथ में। तमी ब्यूमोंट और एमी जोन्स ने 54 रनों की सधी हुई साझेदारी रखकर काम आसान कर दिया। बीच में एक अनोखी घटना भी हुई: भारत ने ‘ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड’ की अपील की, यह मानते हुए कि ब्यूमोंट ने विकेटकीपर ऋचा घोष की दृष्टि बाधित की। तीसरे अंपायर जैकलीन विलियम्स ने फुटेज देखने के बाद ब्यूमोंट के पक्ष में फैसला दिया।

18.4 ओवर पर इंग्लैंड 102/1 था कि तेज बारिश ने खेल रोक दिया। करीब 20 मिनट के बाद खेल शुरू हुआ और लक्ष्य 24 ओवर में 115 हो गया। वापसी के तुरंत बाद क्रांति गौड़ ने नैट स्किवर-ब्रंट को बोल्ड कर 21 पर रोक दिया। लेकिन वहीं से सोफिया डंक्ली ने दबाव नहीं बनने दिया और अंत में उन्हीं के शॉट ने इंग्लैंड को जीत दिलाई। एमी जोन्स 57 गेंदों पर नाबाद 46 रनों के साथ एंकर रहीं।

लॉर्ड्स में महिलाओं के लिए यह जीत खास इसलिए भी है क्योंकि पिछले 15 साल में इंग्लैंड की यह सिर्फ दूसरी ODI जीत है। यह मैदान महिलाओं के बड़े मौकों का भी गवाह रहा है—2017 महिला विश्व कप फाइनल में भी यहीं इंग्लैंड ने भारतीय टीम को हराया था। ऐसे में घरेलू दर्शकों के सामने यह जीत मनोबल बढ़ाने वाली रही।

रिकॉर्ड, फैसले और अगले मैच की तस्वीर

मुकाबले के बाद ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ शब्द खूब गूंजा। प्रसारण के दौरान इसे इंग्लैंड की लॉर्ड्स पर महिला ODI में एक खास उपलब्धि से जोड़ा गया, लेकिन कौन-सा रिकॉर्ड—यह स्पष्ट नहीं बताया गया। संभावित व्याख्याएँ हैं: बारिश से घटे लक्ष्य में सबसे तेज सफल चेस में से एक, या लॉर्ड्स पर महिला ODI में 100+ लक्ष्य का सबसे कम ओवरों में पीछा। मगर इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है, इसलिए इसे ‘उल्लेखनीय उपलब्धि’ के तौर पर देखा जाना ही उचित होगा।

DLS की वजह से मैच की दिशा बदली। संक्षेप में समझें तो DLS पद्धति विकेट और बचे ओवर के आधार पर ‘संसाधन’ गिनती है। बारिश के बाद जब ओवर घटे तो इंग्लैंड के पास कम ओवर बचे थे, लेकिन विकेट भी बचे हुए थे—यही समीकरण लक्ष्य 115 पर सेट करने में काम आया। इंग्लैंड ने फिर 21वें ओवर में यह टारगेट छू लिया, यानी उन्हें जोखिम लेने की ज़रूरत नहीं पड़ी।

भारत कहां पिछड़ा? सबसे बड़ा फर्क मध्य ओवरों में स्पिन के खिलाफ स्ट्राइक-रोटेशन में दिखा। एक्लेस्टोन ने ऑफ स्टंप के बाहर उछाल और कोण के साथ गेंद डाली—दाएं हाथ की बैटरों को ड्राइव और कट के बीच उलझाकर रखा। हरमनप्रीत का बोल्ड होना उसी दबाव का नतीजा था। दूसरी तरफ, भारतीय गेंदबाज़ी में रनों की रोकथाम ठीक रही, पर बारिश के बाद ‘रीस्टार्ट’ पर योजना उतनी तेज नहीं दिखी—फील्डिंग रिंग में गैप और लेंथ में हल्की ढील ने रन निकालने में मदद कर दी।

विवादित अपील पर भी बात कर लें। ‘ऑब्स्ट्रक्टिंग द फील्ड’ नियम तब लागू होता है जब बैटर जानबूझकर फील्डिंग में बाधा डालता है। तीसरे अंपायर ने माना कि ब्यूमोंट की हरकत जानबूझकर नहीं थी और वह सामान्य रनिंग मोशन का हिस्सा थी। क्रिकेट में ऐसे पल अक्सर मैच का मूड बदल सकते हैं, लेकिन इस बार फैसला नियम-पुस्तिका के अनुरूप ही दिखा।

मैच के अहम मोड़:

  • सोफी एक्लेस्टोन की 3/27—मध्य ओवरों में ब्रेकथ्रू और रन-फ्लो पर लगाम।
  • हरमनप्रीत कौर का बोल्ड—भारत की योजनाओं पर असर और मनोबल पर चोट।
  • ब्यूमोंट-जोन्स की 54 रन की साझेदारी—चेस की नींव मज़बूत की।
  • बारिश के बाद DLS लक्ष्य 115/24—इंग्लैंड ने 18 गेंदें शेष रहते हासिल किया।
  • क्रांति गौड़ का स्ट्राइक—स्किवर-ब्रंट बोल्ड, पर दबाव बनाए रखने में नाकाफी।

इंग्लैंड की बैटिंग अप्रोच की तारीफ बनती है। उन्होंने पिच की धीमी गति को समझकर ड्राइव की बजाय स्क्वायर-और-अंडर-आर्म एंगल्स से सिंगल्स बटोरे। कट-हुक बहुत कम, लेकिन पॉइंट और मिड-विकेट के बीच गैप ढूँढना लगातार जारी रहा। एमी जोन्स की नाबाद पारी इसी ‘लो-रिस्क, हाई-रिवार्ड’ सोच का नमूना रही।

भारत के लिए सकारात्मक क्या रहा? नई गेंद से शुरुआत सधी हुई रही और डेथ में बड़े शॉट्स पर रोक लगी रही। Sneh राणा ने बीच के ओवरों में ब्यूमोंट को LBW कर उम्मीद लौटाई। फील्डिंग में कुछ अच्छे डाइव और सेव दिखे, हालांकि बारिश के बाद ग्राउंड स्लिपरी होने से रन रोकना मुश्किल हो गया।

सीरीज़ अब डरहम में तय होगी। वहां की कंडीशंस आम तौर पर सीम-फ्रेंडली रहती हैं। ऐसे में भारत के लिए दो प्रश्न बड़े रहेंगे—स्पिन के खिलाफ स्ट्राइक रोटेशन कैसे सुधरे और पावरप्ले के बाद स्कोरिंग रेट कैसे ऊपर रखा जाए। इंग्लैंड अपने प्लान पर ही टिके रहने की कोशिश करेगा: नई गेंद पर जोखिम-नियंत्रित शुरुआत, बीच के ओवरों में साझेदारी, और एक्लेस्टोन से खेल का रुख अपने पक्ष में मोड़ना।

लॉर्ड्स के इस मुकाबले ने एक बात साफ कर दी—दबाव की घड़ी में जो टीम छोटी-छोटी चीज़ें बेहतर करती है, मैच वहीं मुड़ जाता है। इंग्लैंड ने यही किया: गेंद से टेम्पो कंट्रोल, बैट से इंटेंट बरकरार और बारिश के बाद बने नए समीकरणों को तेजी से पढ़ना। सीरीज़ की कहानी अब डरहम पर टिक गई है, जहां दोनों टीमें अलग हालात में एक-दूसरे की परीक्षा लेंगी।