करवा चौथ 2024 के दौरान क्या करना चाहिए
सबसे पहले सुबह-सुबह उठकर करवा चौथ 2024 की सर्दी‑साँवली सर्गी खाएँ। यह भोजन सास‑ससुर की ओर से तैयार किया जाता है, जिसमें फल, हलवा, शोरबा और कुछ आँवले होते हैं। सर्गी खाने के बाद आप ताज़ा कपड़े पहनें – लाल साड़ी या लेहंगा सबसे शुभ माना जाता है।
मेहँदी लगाना भी अनिवार्य है; हाथ‑पैरों पर मोटी डिज़ाइन बनवाएँ, जिससे शादी के दिन की याद ताज़ा हो। चूड़ियों, कुंदन, मंगेतर या फिर मंगलसूत्र को न भूलें – ये सब आपका वैवाहिक बंधन दर्शाते हैं। शाम को 5:46 PM से 7:02 PM तक करवा चौथ पूजा का मुहूरत होता है। एक थाली में करवा (मिट्टी की घड़ी), दीया, चावल, मिठाई और फल रखें, फिर धूप में भजन‑कीर्तन या कथा सुनें।
कथा में अक्सर बचत की कहानी – सवित्रि‑सत्यवान और द्रौपदी‑कृष्ण के किस्से प्रस्तुत किए जाते हैं। यह सुनने से आपका मन धैर्य से भर जाता है और उपवास के दौरान सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। पूजा के बाद, चंद्रमा के उदित होने का इंतजार करें (लगभग 7:54 PM)। चाँद देख कर करवे में पानी डालें, फिर अपनी जाली के पीछे से पति को देखें और उनका हाथ पकड़ कर पहला घूँट पानी पिएँ। यही आपके उपवास का अंत है।

करवा चौथ व्रत में क्या नहीं करना चाहिए
व्रत के दौरान पानी, चाय, फल‑जूस या कुछ भी खाने‑पीने से बचें। यह निरजल व्रत 11‑13 घंटे तक चलता है, इसलिए हाथ में पानी की बोतल न रखें। साथ ही, नकारात्मक विचारों और विवादों से दूर रहें – लोगों के साथ झड़प या कठोर बोलना इस पवित्र दिन को दूषित कर सकता है।
नाखून या बाल नहीं काटें, न ही तेज़ चाकू या कैंची का प्रयोग करें। काली वस्त्र, बिना चूड़ियों के सजावट या मंगलसूत्र हटाना भी मना है, क्योंकि इससे वैवाहिक बंधन का प्रतीक क्षीण हो सकता है। घर के भारी काम जैसे ज़रूरत से ज़्यादा सफ़ाई, भारी सामान उठाना या किचन में लगातार काम करने से बचें; ये शरीर को थकाते हैं और मन को उथल‑पुथल में डालते हैं।
सबसे बड़ी गलती है चाँद को ठीक से देखे बिना ही उपवास तोड़ना। कभी‑कभी कृत्रिम रोशनी या आंशिक चंद्रमा को देख कर जल्दी‑बछी हो जाती है, परन्तु सही विधि यही है कि पूरा चंद्रमा दिखे और सब नियम पूरी तरह निभाए जाएँ।
समय‑सारिणी भी अहम है। 20 अक्टूबर 2024 को सूर्योदय 6:25 AM पर होता है, और चतुर्थी तिथि 4:16 AM तक चलती है। चंद्रमा का उदय 7:54 PM है, पर आपकी लोकेशन के आधार पर ये थोडा बदल सकता है। इस कारण, अपने निकटतम पंडित या स्थानीय कैलेंडर से सही समय प्रमाणित करें।
करवा चौथ का सार सिर्फ एक दीर्घकालीन उपवास नहीं, बल्कि पति‑पत्नी के बीच भरोसे और समर्पण को मजबूती देना है। इस रिवाज को श्रद्धा और सन्मान के साथ निभाने से परिवार में सुख‑समृद्धि बढ़ती है, और सामाजिक तौर पर भी महिलाएँ एक-दूसरे को समर्थन देती हैं। जब आप इन नियमों का पालन करती हैं, तो न केवल आप अपने पति के लिए प्रार्थना करती हैं, बल्कि खुद को भी आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाती हैं।