भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट
भारत के शेयर बाजार ने हाल में छ: दिन की लंबी गिरावट का सामना किया, जिससे सेंसेक्स मध्य अगस्त के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया। इस गिरावट का मूल कारण मिडिल ईस्ट में संघर्ष की बढ़ती आशंका है। यह चिंता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत का तेल आपूर्ति श्रृंखला पर भारी निर्भरता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह संघर्ष और बढ़ता है, तो तेल की आपूर्ति में बाधा की संभावना बढ़ सकती है। तेल की कीमतों में उथल-पुथल ने बाजार में उम्मीदों को अस्थिर कर दिया है, जिससे निवेशकों में बेचैनी बढ़ गई है।
सेंसेक्स और निफ्टी की सतत गिरावट
सेंसेक्स में 1,264.2 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे यह 83,456 अंक पर आ गया है। निफ्टी 50 इंडेक्स भी 0.97% गिरकर 25,548.4 अंक पर है। अधिकांश प्रमुख सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं, जिनमें रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सूचकांक सबसे बड़ी हानि में रहे। कई बड़ी कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स, एशियन पेंट्स, लार्सन एंड टूब्रो, एक्सिस बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज, मारुति, कोटक महिंद्रा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, और एचडीएफसी बैंक भी बाजार की इस करारी गिरावट का शिकार हुई हैं।
विश्लेषकों की राय
Centrum Institutional Equities के विशेषज्ञों के अनुसार, मिडिल ईस्ट में संघर्ष के कारण घरेलू बाजारों पर उच्च बेचने का दबाव देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि तेल आपूर्ति में संभावित बाधा से न केवल भारत की व्यापारिक आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता है बल्कि यह बाजार की आत्मविश्वास को भी कमजोर कर सकता है। यही नहीं, व्यक्तिगत शेयरों की स्थिति भी चिंताजनक है।
अन्य प्रभावित शेयर
कई कंपनियों के शेयर कीमतों में भी संख्या बल कम हुआ है। डाबर ने अपनी वार्षिक राजस्व में गिरावट की आशंका जताई है, जिसके चलते उसके शेयर 6% तक नीचे गए हैं। इसी तरह फाइनेंशियल क्षेत्र की कंपनियां जैसे मोतीलाल ओसवाल फ़ायनेंशियल सर्विसेज और 5पैसा कैपिटल के शेयर करीब 2% गिरे हैं। जबकि, जियोजीत फ़ायनेंशियल और SMC ग्लोबल के शेयर लगभग 1% गिरे हैं।
नियमों में बदलाव की भी असर
भारतीय बाजार नियामक द्वारा इक्विटी डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के नियमों में बदलाव के कारण भी बाजार में हलचल हुई है। विदित हो कि यह नियम सख्त होने के कारण निवेशकों में बेचैनी बढ़ी है और बाजार में निवेशक अपने निर्णयों पर पुनः विचार कर चुके हैं। अनिश्चितता का यह दौर निवेशकों के बीच कई सवाल खड़ा कर रहा है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो वित्तीय बाज़ारों में लम्बे समय तक निवेश करने का विचार कर रहे हैं।
इन सभी घटनाओं का सार यह है कि वैश्विक भू-राजनीतिक स्थितियों में परिवर्तन विशेष रूप से तेल की आपूर्ति के संदर्भ में भारतीय बाजार को प्रभावित कर रहे हैं। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे स्थिति को नजदीक से देखें और निवेश निर्णयों में सावधानी बरतें।