नंदिनी दूध की कीमतों में बदलाव पर राजनीतिक हंगामा
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) ने हाल ही में नंदिनी दूध की पैकेजिंग और कीमतों में महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की, जिससे राज्य में राजनीतिक बहस छिड़ गई है। विपक्षी दलों ने इस कदम के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय KMF द्वारा स्वतंत्र रूप से लिया गया है।
KMF का नया पैकेजिंग और मूल्य प्रणाली
KMF के नए पैकेजिंग प्लान के अनुसार, दूध की प्रति यूनिट कीमत में कोई वृद्धि नहीं होगी, लेकिन प्रत्येक दूध पैकेट में मात्रा 50 मिलीलीटर बढ़ाई जाएगी। पहले 'हाफ लीटर' मात्रा के पैकेट की जगह 550 मिलीलीटर और 'वन लीटर' मात्रा के पैकेट की जगह 1,050 मिलीलीटर वाले पैकेट होंगे। नए मूल्य के अनुसार, 550 मिलीलीटर पैकेट की कीमत 24 रुपये और 1,050 मिलीलीटर पैकेट की कीमत 44 रुपये होगी। पहले यह कीमतें क्रमशः 500 मिलीलीटर के लिए 22 रुपये और 1,000 मिलीलीटर के लिए 42 रुपये थीं, जिससे उपभोक्ता को थोड़ा अधिक भुगतान करने पर अधिक दूध मिलेगा।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का बचाव
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस परिवर्तन का बचाव करते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य किसानों के अतिरिक्त दूध उत्पादन को संग्रह केंद्रों पर नकारा न जाए। पिछले एक वर्ष में कर्नाटक में दूध उत्पादन में 15% की वृद्धि हुई है। पिछले साल राज्य में प्रति दिन औसतन 90 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता था, जो अब बढ़कर 99 लाख लीटर प्रति दिन हो गया है। सिद्धारमैया ने कहा कि इस कदम से किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ मिलेगा।
दुग्ध पाउडर उत्पादन में योगदान
वर्तमान में, कर्नाटक में उत्पादित दूध का एक बड़ा हिस्सा दूध पाउडर उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता है। प्रतिदिन लगभग 30 लाख लीटर दूध का उपयोग 250 मीट्रिक टन दूध पाउडर उत्पादन के लिए किया जाता है। नए फैसले से दूध पाउडर उत्पादन उद्योग और तरल दूध बाजार दोनों की जरूरतों को संतुलित करने में मदद मिलेगी।
दुग्ध उत्पादकों के लिए सरकार के प्रयास
सिद्धारमैया ने दुग्ध उत्पादकों का समर्थन करने के सरकार के प्रयासों को भी प्रकाश में लाया। वर्तमान सरकार के सत्ता में आने पर राज्य में औसत दैनिक दूध संग्रह लगभग 72 लाख लीटर था। सरकार ने दूध की कीमत में 3 रुपये की वृद्धि की, जिससे अतिरिक्त धन सीधे किसानों को मिला और दुग्ध उत्पादकों के लिए इसे और अधिक लाभदायक बना दिया। अच्छा वर्षा भी इस साल हुआ, जिसने मवेशियों के लिए हरी चारा की भरपूर आपूर्ति सुनिश्चित की, जिससे दूध उत्पादन और बढ़ा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय बढ़े हुए उत्पादन को संभालने के लिए लिया गया है और इससे किसान और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा।
आंदोलन और प्रतिक्रिया
KMF के इस फैसले ने कर्नाटक में राजनीतिक हंगामा पैदा कर दिया है। विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह सरकारी तंत्र का किसानों पर बोझ कम करने का एक तरीका है जबकि सरकार ने इसे किसानों और उपभोक्ताओं के हित में लिया गया निर्णय बताया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में यह कदम कितनी सफलतापूर्वक लागू होता है और इसका जनता पर क्या प्रभाव पड़ता है।