बेंगलुरु के बीसीसीआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में खेला गया ड्यूलप ट्रॉफी 2025 का सेमी‑फ़ाइनल हमेशा याद रहेगा, क्योंकि इस मैच में नारायण जागदेसन ने ऐसा इनिंग खेला जो कई फ़ैंसियों को जकड़े रखता है। 29‑वर्षीय तमिलनाडु के विकेट‑कीपर‑बेट्समैन ने 197 रन बनाकर, 352 गोले पर 16 फ़ोर और दो छक्के मारते हुए, साउथ ज़ोन को 536 के भव्य टोटल पर पहुँचाया। यह इनिंग सिर्फ रनों की जमा नहीं, बल्कि तकनीकी चतुराई और मिड‑ऑन‑फ़ील्डिंग का शानदार मिश्रण था।
साउथ ज़ोन के पौराणिक 197 रन
जागदेसन की पारी का आरंभ बहुत ही संयमित रहा। पहले ओवर में उन्होंने कड़ी जीम्ही के साथ खेला, फिर धीरे‑धीरे रफ़्तार पकड़ते हुए गेंद के बीच के अंतराल को खोजा। उनके 352 डिलीवरी पर चलने वाले इस फेज़ में 16 चौके और दो छक्के प्रमुख रहे, जो बताता है कि उन्होंने सतह को पढ़कर बॉल को सही जगह पर मारना जान लिया था।
बल्ले को नियंत्रित रखने की उनकी क्षमता में एक प्रमुख कारण था उनका फ़ुटवर्क। वे अक्सर बॉल को नीचे ले कर, फिर रेसिशन के साथ आगे बढ़ते, जिससे बॉल की लाइन और लेन्थ दोनों ही बदलते। इससे न केवल फ़ोरें पर दबाव बना रहा, बल्कि बॉल के मूमेंट को भी अप्रत्याशित बना दिया। इस तकनीक ने उन्हें उत्तर ज़ोन के तेज़ी वाले पेसर्स, जैसे टेस्ट सीमर अंशुल कंबोज़, को भी आराम से खेलने दिया।
जब उत्तर ज़ोन ने स्पिनर औक़ीब नबी को चैनल बदलने की कोशिश की, तब भी जागदेसन ने अपने खेल में बदलाव नहीं दिखाया। उन्होंने बॉल को साइड‑स्लिप और पॉज़िशनिंग के हिसाब से घुमा‑घुमा कर कत्ल किया, जिससे बॉल का रिवर्स‑स्विंग प्रभाव खत्म हो गया। उनके साथी बल्लेबाज़, टैनमे आयगरवाल (43 रन) और देवदत्त पदिक्कल (57 रन) के साथ उनके साझेदारी भी यादगार रही। दोनों के साथ उनका मिलकर 115‑रन का शुरुआती साझेदारी साउथ ज़ोन को श्वेतकुंडल बना दिया।
इसी बीच, बॉल के बदलाव और विकेट‑कीपर की फील्डिंग भी काम कर रही थी। उत्तर ज़ोन के गेंदबाज़ों में से सर्वश्रेष्ठ स्पिनर निशांत सिंधु ने 48 ओवरों में 5/125 के साथ टीम को सिर्फ थोड़ा रोक पाए। यह दिखाता है कि बॉल की लंबी दूरी पर घुमाव और वेटाइंग पर भी उन्होंने खुद को नहीं खोया।
जागदेसन का 197‑रन का आंकड़ा, उनके पहले दो कारनामों, 245* (अप्रैल 2024) और 321 (अगस्त 2024) के बाद, यह बताता है कि वह अब प्रथम‑क्लास क्रिकेट में निरंतरता से उच्चतम स्तर के खिलाड़ी बन रहे हैं। उनका इस इंट्रीमेंट में तब तक 128* रहने पर दंगल में उनके एक और डबल‑सेंचुरी की संभावना को देख कर सभी ने उम्मीदें जमा ली थीं। लेकिन दोपहर के ब्रेक से ठीक पहले, निशांत सिंधु के तेज़ फील्डिंग द्वारा बॉल को परेशान कर रन‑आउट हुआ, जिससे उनका सपना ‘२००‑रन क्लब’ से केवल तीन रनों पर अटक गया।

ड्यूलप ट्रॉफी में भविष्य की संभावनाएँ
जागदेसन की इस पारी ने राष्ट्रीय टीम पर भी असर डाला है। अभी हाल ही में उन्हें इंग्लैंड के टेस्ट सीरीज़ में रिषभ पंत की चोट के कारण भारतीय टीम में बैक‑अप विकेट‑कीपर के रूप में बुलाया गया था। यह चयन खुद में उनका मान बढ़ाता है, लेकिन अब उनका लक्ष्य बैटिंग से भी राष्ट्रीय टीम में जगह बनाना है। 197‑रन से दिखाए गए तकनीकी स्तर और धैर्य को देखते हुए, भारतीय टीम के चयनकर्मी इस बात को गंभीरता से ले रहे हैं कि उन्हें टेस्ट और वन‑डे दोनों फ़ॉर्मेट में मौका दिया जाए।
ड्यूलप ट्रॉफी के इस सेमी‑फ़ाइनल में साउथ ज़ोन ने अंततः 536 के बड़े स्कोर पर पहुँच कर अपने पक्ष में खेल को बन्द कर दिया, जबकि उत्तर ज़ोन ने पीछे रहकर 371 सभी आउट के साथ जवाब दिया। इस बड़े अन्तर ने साउथ ज़ोन को फाइनल में पहुँचाने का मार्ग साफ़ कर दिया। अब कई विश्लेषक उम्मीद कर रहे हैं कि जागदेसन का नाम फाइनल में भी रहेगा, चाहे वह कप्तान के रूप में हो या मध्यम क्रम में ब batting।
भविष्य में यदि वह लगातार 150‑200 के स्कोर बनाते रहेंगे, तो उनके ‘डबल‑सेंचुरी क्लब’ में जगह बनाना केवल समय का सवाल है। उनका अब तक का रिकॉर्ड—245*, 321, और 197—पहले ही दिखा रहा है कि वह प्रथम‑क्लास में लंबे इनिंग बनाने में निपुण हैं। अगर वे फील्डिंग और विकेट‑कीपिंग के साथ बैटिंग में भी अपनी फॉर्म बनाए रखें, तो उनके लिए भारत के राष्ट्रीय टीम में स्थायी जगह बनना काफी आसान हो सकता है।
अंत में, इस सेमी‑फ़ाइनल की सबसे बड़ी सीख यह रही कि कठिनाइयाँ और नज़दीकी हार भी खेल के उत्कर्ष को दर्शाती हैं। नारायण जागदेसन ने जहाँ 197 से दोहरा शतक की दूरी को महसूस किया, वहीं उन्होंने यह भी सिद्ध कर दिया कि उनका खेल टॉप‑लेवल पर है। अब सवाल यह है कि अगली बार क्या वह वही 200‑रन की मंज़िल तक पहुँच पाएँगे, या यह ‘लाखों के दिलों में अडिग’ भूमिका के रूप में ही रहेगी।