नीरज चोपड़ा ने लॉज़ेन डायमंड लीग 2024 में अपनी उत्कृष्टता साबित की
भारतीय जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर अपने देश का मान बढ़ाया। उन्होंने लॉज़ेन डायमंड लीग 2024 में दूसरे स्थान पर रहते हुए एक शानदार प्रदर्शन किया और 89.49 मीटर की दूरी तक थ्रो किया। यह उनके सीजन का सबसे बेहतरीन थ्रो था, जिसने सभी को चकित कर दिया।
नीरज चोपड़ा ने अपनी अंतिम कोशिश में इस शानदार थ्रो को हासिल किया, जिससे वह जर्मनी के जूलियन वेबर को पीछे छोड़ते हुए दूसरे स्थान पर पहुंच गए। इस प्रतियोगिता में ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने 90.61 मीटर की थ्रो के साथ नया मीट रिकॉर्ड बनाकर पहला स्थान हासिल किया। पहले यह रिकॉर्ड ट्रिनिडाड और टोबैगो के केशोर्न वालकॉट के नाम था, जो उन्होंने 2015 में बनाया था।
प्रतियोगिता की शुरुआत और अंत
प्रतियोगिता की शुरुआत में नीरज चोपड़ा ने 83 मीटर के आसपास थ्रो किए। लेकिन उनकी पकड़ तब मजबूत हुई जब उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में 85.58 मीटर का थ्रो किया। हालांकि उनकी अंतिम थ्रो 89.49 मीटर की रही, जो 90 मीटर के निशान के थोड़ा कम थी, फिर भी यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
जूलियन वेबर 87.08 मीटर के थ्रो के साथ तीसरे स्थान पर रहे। इस प्रतियोगिता का नीरज चोपड़ा के लिए एक खास महत्व था, क्योंकि वह 2017 से चली आ रही एक पुरानी चोट से जूझ रहे हैं। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी ताकत और रणनीति से इस प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया।
चोट के बावजूद उत्कृष्ट प्रदर्शन
चोट के बावजूद, नीरज चोपड़ा ने अपने आत्मविश्वास और मजबूती के साथ प्रदर्शन किया। वह इससे पहले पेरिस 2024 ओलंपिक्स में 89.45 मीटर के थ्रो के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे।
लॉज़ेन डायमंड लीग में यह उनका पांचवां मुकाबला था और वह अब ब्रुसेल्स में सितंबर में होने वाले डायमंड लीग फाइनल के लिए सशक्त रूप से तैयार हैं। इस प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर रहते हुए, नीरज ने सात अंक अर्जित किए, जिससे वह डायमंड लीग स्टैंडिंग में वेबर के साथ संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर पहुँच गए। वहीं, पीटर्स 21 अंकों के साथ शीर्ष स्थान पर हैं।
नीरज चोपड़ा की लगन और मेहनत
नीरज चोपड़ा द्वारा हासिल किए गए इस प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि कठिनाइयों के बावजूद, लगन और मेहनत के बलबूते पर किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। चोट के बावजूद निरंतर अभ्यास और समर्पण से उन्होंने अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया है।
उनकी यह उपलब्धि न केवल भारतीय खेल प्रेमियों के लिए प्रेरणादायक है, बल्कि उन सभी के लिए एक उदाहरण है जो खेल में करियर बनाना चाहते हैं। यह देखकर गर्व होता है कि भारतीय एथलीट विश्व मंच पर अपना लोहा मनवा रहे हैं और देश का नाम रोशन कर रहे हैं।