जब हम भारतीय स्टार्टअप्स, भारत में स्थापित नयी कंपनियों को कहा जाता है जो प्रौद्योगिकी, सेवा या उत्पाद के माध्यम से बाजार में बदलाव लाने की कोशिश करती हैं. Also known as इंडियन स्टार्टअप्स, it उद्यमियों को जोखिम‑पुर्नावृत्ति के साथ व्यावसायिक मॉडल बनाने की आज़ादी देता है और इस कारण से यह इकोसिस्टम पूरे आर्थिक माहौल को प्रभावित करता है। इस परिचय में हम दो‑तीन प्रमुख घटकों को भी देखेंगे: फ़ंडिंग, स्टार्टअप को शुरुआती पूँजी, एंजल या वेँचर कैपिटल प्रदान करने की प्रक्रिया, इनोवेशन, नई तकनीक, व्यवसाय मॉडल या प्रोडक्ट के विकास से जुड़ी रचनात्मक प्रक्रिया और उद्यमी, जो जोखिम लेकर नए विचारों को बाजार में लाते हैं। इन तीनों का आपसी सम्बन्ध सीधे भारतीय स्टार्टअप्स के विकास को दिशा देता है।
पहला संबंध है – भारतीय स्टार्टअप्स में इनोवेशन की भूमिका. हर नया उत्पाद या सेवा मूल रूप से एक समस्या को हल करने की कोशिश होती है, और वह समाधान अक्सर तकनीकी बदलावों पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर, फिनटेक ऐप्स ने भुगतान प्रणाली को मोबाइल‑फ्रेंडली बना दिया, जबकि एग्रीटेक ने किसान की उत्पादकता बढ़ाने के लिये डेटा‑ड्रिवेन मॉडल पेश किया। इस तरह के नवाचार न सिर्फ बाज़ार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाते हैं, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा करते हैं। इस कारण इनोवेशन स्टार्टअप इकोसिस्टम का मूल स्तम्भ है। दूसरा संबंध है – फ़ंडिंग और उद्यमी के बीच का घनिष्ठ जुड़ाव। जब एक उद्यमी को अपने विचार को वास्तविकता में बदलना होता है, तो उसके पास पर्याप्त पूँजी नहीं होती। एंजल इन्वेस्टर्स, वेँचर कैपिटल फर्म और सरकारी योजनाएं इस खाली जगह को भरती हैं। फ़ंडिंग मिलने पर उद्यमी तेज़ी से प्रोटोटाइप बनाते हैं, टीम बढ़ाते हैं और मार्केट में प्रवेश की रणनीति तैयार करते हैं। हालिया समाचारों में कई फ़ंडिंग राउंड देखे गए हैं जहाँ स्टार्टअप ने करोड़ों रुपये की राशि जुटा कर अपना प्रोडक्ट स्केल किया। इस चक्र को “फ़ंडिंग‑फीड्ड ग्रोथ” कहा जाता है, और यह भारतीय स्टार्टअप्स को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाता है। तीसरा संबंध है – उद्यमी और इकोसिस्टम का पारस्परिक प्रभाव। एक सफल उद्यमी न केवल अपना बिज़नेस चलाता है, बल्कि नई कंपनियों के लिए मेंटरशिप, नेटवर्किंग और निवेश के चैनल भी खोलता है। कई बार एक स्टार्टअप के संस्थापक दूसरे स्टार्टअप के बोर्ड में बैठते हैं या अपने एंजल फ़ंड से नई कंपनियों को समर्थन देते हैं। इस तरह का ज्ञान‑विनिमय इकोसिस्टम को स्थिर और लचीला बनाता है, जिससे नई विचारधारा जल्दी से स्थापित हो पाती है।
इस संग्रह में आप विभिन्न क्षेत्रों के स्टार्टअप समाचार देखेंगे – टेक, हेल्थकेयर, एग्रीकल्चर, ई‑कॉमर्स और शिक्षा। प्रत्येक लेख में फ़ंडिंग डेटा, प्रौद्योगिकी ट्रेंड और उद्यमी की कहानी को संक्षिप्त रूप में बताया गया है। आप इस लिस्ट को पढ़ते समय देखेंगे कि कैसे अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ, जैसे YouTube आउटेज या वैश्विक ट्रेड टेंशन, भारतीय टेक कंपनियों की रणनीति को प्रभावित करती हैं। इससे यह स्पष्ट होगा कि स्टार्टअप्स सिर्फ तकनीकी प्रयोग नहीं होते, बल्कि बड़े आर्थिक और सामाजिक संदर्भ में चलने वाले जीवित प्रोजेक्ट हैं।
अब आप तैयार हैं उन लेखों को पढ़ने के लिए जो भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की विविधता और गतिशीलता को उजागर करेंगे। नीचे दी गई सूची में हर पोस्ट आपको नई अंतर्दृष्टि, निवेश विकल्प और सफल उद्यमियों की प्रेरणादायक कहानियाँ प्रदान करेगी। चलिए, इस ज्ञान यात्रा की शुरुआत करते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024-25 में सभी प्रकार के निवेशकों के लिए एंजेल टैक्स को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है। यह कदम भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को सशक्त बनाने, उद्यमशीलता भावना को बढ़ावा देने और नवाचार को समर्थन देने की दिशा में उठाया गया है। एंजेल टैक्स 2012 में पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य कंपनियों में निवेश को आय के रूप में देख कर 30% कर लगाना था।