डकवर्थ-लुईस-स्टर्न, एक गणितीय नियम है जो बारिश या अन्य व्यवधान के बाद लिमिटेड ओवर के क्रिकेट मैचों में जीत का निर्णय करने के लिए इस्तेमाल होता है. इसे DLS मेथड भी कहते हैं, और यह आज के क्रिकेट में सबसे अधिक भरोसेमंद तरीका है जब बारिश ने मैच को बाधित कर दिया हो।
ये नियम सिर्फ ओवर कम करने का नहीं, बल्कि टीमों के बचे हुए संसाधनों—जैसे विकेट और ओवर—को तुलना करके न्यायसंगत स्कोर तय करता है। अगर पहली टीम ने 50 ओवर में 300 रन बनाए, और दूसरी टीम के लिए सिर्फ 20 ओवर बचे हों, तो DLS के अनुसार उनका लक्ष्य सिर्फ 120 रन नहीं होगा, बल्कि उनके बचे हुए विकेट और ओवर के आधार पर एक गणितीय समायोजन होगा। इसकी जटिलता इसमें छिपी है कि ये नियम सिर्फ ओवरों को नहीं, बल्कि टीम की जीत की संभावना को भी मापता है।
भारत के कई मैचों में इस नियम का असर देखा गया है। 2025 के ICC चैम्पियंस ट्रॉफी सेमीफाइनल में भी अगर बारिश होती, तो विराट कोहली की टीम का लक्ष्य DLS के हिसाब से तय होता। इसी तरह, एशिया कप 2025 में पाकिस्तान और भारत के मैच में भी यह नियम फैसले का आधार बना। यह नियम न केवल टीमों के लिए बल्कि फैंस के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उन्हें यकीन दिलाता है कि जीत या हार न्यायसंगत है।
डकवर्थ-लुईस-स्टर्न के बिना, क्रिकेट में बारिश के बाद मैच ड्रॉ हो जाते या अन्य अनियमित तरीकों से निर्णय लिया जाता, जिससे टीमों को अन्याय होता। आज ये नियम हर बड़े टूर्नामेंट में जरूरी है—चाहे वो वर्ल्ड कप हो, टी20 श्रृंखला हो, या घरेलू ट्रॉफी। यह नियम न केवल एक गणितीय फॉर्मूला है, बल्कि क्रिकेट की न्यायपालिका का हिस्सा है।
आपके द्वारा पढ़े गए पोस्ट्स में डकवर्थ-लुईस-स्टर्न का सीधा जिक्र नहीं है, लेकिन उनमें बारिश, ओवर, और मैच निर्णय के संदर्भ में ऐसे ही मौके आए हैं—जैसे डार्जिलिंग में बाढ़ या उत्तराखंड में बारिश के कारण आयोजन बाधित होना। इसी तरह, जब क्रिकेट में बारिश होती है, तो यह नियम उसका जवाब देता है। नीचे आपको ऐसे ही मैचों, टूर्नामेंटों और घटनाओं के बारे में पोस्ट मिलेंगे, जहाँ निर्णय न्याय के बजाय भाग्य या बारिश पर निर्भर नहीं थे।
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