जब हम घरेलू हिंसा, परिवार के भीतर शारीरिक, मानसिक या आर्थिक दुरुपयोग को कहा जाता है. Also known as घर में दुरुपयोग की बात करते हैं, तो घरेलू हिंसा को समझना जरूरी है। यह समस्या सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गहरी जड़ें रखती है। महिला सुरक्षा, स्त्रियों को शोषण से बचाने के लिए निर्धारित नीतियाँ और अधिकार और हिंसा रोकथाम, हिंसा को पहले ही स्तर पर रोकने की रणनीतियाँ इस मुद्दे से सीधे जुड़े हैं। सामाजिक जागरूकता, सशक्त कानून और पीड़ित सहायता केंद्रों की मौजूदगी के बिना कोई दीर्घकालिक समाधान नहीं बन सकता।
भारत में दुर्व्यवहार रोकथाम अधिनियम (DWPA), घर में हिंसा के मामलों में पीड़ित को सुरक्षा आदेश देने वाला कानून मुख्य रूप से घरेलू हिंसा को कम करने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत पुलिस रिपोर्ट दर्ज करना, तुरंत सुरक्षा आदेश लेना और आर्थिक सहायता के लिए न्यायालय से सहारा प्राप्त करना संभव है। कई राज्य सरकारों ने पीड़ित सहायता केंद्र, शिकायत दर्ज करने, काउंसलिंग और कानूनी परामर्श प्रदान करने वाले संस्थान स्थापित किए हैं। ये केंद्र न केवल त्वरित राहत प्रदान करते हैं, बल्कि लंबी अवधि में पुनर्वास की योजना भी बनाते हैं। साथ ही, सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम, शिक्षा, मीडिया और सामुदायिक समूहों के माध्यम से हिंसा को नकारने के प्रयास ने धीरे‑धीरे लोगों के नजरिए में बदलाव लाया है। जब परिवार के भीतर भरोसा और सम्मान का माहौल बनता है, तो हिंसा की संभावना घटती है।
तो अब आप सोच रहे होंगे कि इस सबको व्यवहार में कैसे लागू करें? सबसे पहले, किसी भी अनियमित व्यवहार को पहचानने के संकेतों को जानें – लगातार शारीरिक चोटें, संकोचपूर्ण संवाद, आर्थिक नियंत्रण आदि। यदि आप या आपका कोई परिचित इन संकेतों से ग्रस्त है, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या निकटतम पीड़ित सहायता केंद्र से संपर्क करें। दूसरा, अपने आसपास के लोगों को भी जागरूक करें; एक छोटा वार्तालाप कभी‑कभी बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है। तीसरा, अपने अधिकारों के बारे में जानकारी रखें – सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार संविधान में निहित है। इन कदमों को अपनाकर आप न केवल खुद की सुरक्षा कर रहे हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में भी योगदान दे रहे हैं। नीचे आपको विभिन्न लेख, केस स्टडी और विशेषज्ञ राय मिलेंगे, जो घरेलू हिंसा के विभिन्न पहलुओं को गहराई से समझाते हैं और आपको प्रभावी समाधान की दिशा में मार्ग दिखाते हैं।
25 वर्षीया टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव, ITF में 113 की डबल्स रैंकिंग और हरियाणा में 5वीं पंक्ति में रही थीं। उन्होंने गुरुग्राम में अपना टेनिस अकादमी चलाया। सितम्बर 2025 में पिता द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गईं। यह घटना घरेलू हिंसा और महिला खेल प्रतिभाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाती है।