टेनिस उभरती सितारा राधिका यादव की दर्दनाक मौत: घरेलू हिंसा ने छीन ली जीत

सित॰, 23 2025

राधिका यादव: टेनिस कोर्ट से बाहर के जीवन की झलक

राधिका यादव का जन्म 23 मार्च 2000 को हुआ था। वह गूवर्ली, हरियाणा के एक साधारण परिवार में पली-बढ़ी, लेकिन टेनिस के प्रति उनका जज़्बा खास था। बचपन में ही उन्होंने स्थानीय क्लबों में प्रशिक्षण लेना शुरू किया और जल्द ही राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना ली। 2018 में उन्होंने AITA अंडर‑18 रैंकिंग में 75वीं जगह हासिल की और 11 हफ्ते टॉप 100 में बनी रहीं।

ITF में उनके द्विपक्षीय (डबल्स) प्रदर्शन ने उन्हें 113 की विश्व रैंक दिलाई, जो भारतीय महिलाओं के बीच एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है। हरियाणा में वह महिलाओं के डबल्स में पाँचवीं रैंक पर थीं, जबकि सिंगल्स में उनका सर्वश्रेष्ठ स्थान 35 था। राधिका की खेल शैली में तेज़ी, रचनात्मक रणनीति और लगातार मेहनत का मेल था, जिससे वह अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए कड़ी चुनौती बन गईं।

टेनिस अकादमी और दुखद घटनाक्रम

टेनिस अकादमी और दुखद घटनाक्रम

रणनीति और उत्साह से भरपूर राधिका ने अपने करियर के साथ ही गुरुग्राम में एक टेनिस अकादमी शुरू की। वह खुद को कोच के रूप में स्थापित करतीं, युवा खिलाड़िओं को प्रशिक्षित करतीं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर खेलने के लिए तैयार करतीं। अकादमी धीरे‑धीरे लोकप्रिय हुई और कई गोल्फर‑टेनिस प्रेमियों को आकर्षित किया।

सितंबर 2025 के एक गुरुवार सुबह, घर में छोटे‑छोटे वादे‑विवाद के बाद एक खतरनाक मोड़ आया। राधिका के पिता ने उन्हें सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने और टेनिस अकादमी को चलाते रहने को लेकर सख्त विरोध किया। विवाद तेज़ होते‑ही, पिता ने उस दिन राधिका को गोली मार दी। यह दुःखद घटना गुरुग्राम के सेक्टर‑57 में उनके घर के आंगन में हुई।

ITF की वेबसाइट के अनुसार, राधिका ने मार्च 2024 में आखिरी सिंगल मैच खेला और जून 2023 में आखिरी डबल्स मैच। उनका रिकॉर्ड कुल 36 सिंगल्स और 7 डबल्स मैचों का था। उनका करियर आधा रह गया था, लेकिन उनका योगदान टेनिस कम्युनिटी में हमेशा याद रहेगा।

राधिका की मृत्यु पर टेनिस संघ, खिलाड़ियों और नागरिक समाज ने कड़ा बहाना किया। कई खिलाड़ी सोशल मीडिया पर उनके नाम की मोहर लगा कर विरोध प्रकट कर रहे हैं, जबकि महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के खिलाफ कड़े नियमों की मांग भी बढ़ रही है। इस ट्रैजिक घटना ने यह दिखा दिया कि खेल जगत में भी महिलाओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान नहीं दिया जाता।

राधिका की कहानी एक चेतावनी बन गई है: सफलता के साथ-साथ सुरक्षा भी उतनी ही ज़रूरी है। उनका नाम अब भारतीय टेनिस इतिहास में एक प्रेरणा के रूप में रहेगा, और उनका सपना—एक बेहतर टेनिस भारत—हमें और मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा।