हिजबुल्लाह – लेबनान की सशस्त्र ताकत और उसके प्रभाव

जब हम हिजबुल्लाह, लेबनान में स्थित एक शिया सशस्त्र समूह है जो राजनीतिक और सैन्य दोनों कार्य करता है. इसे अक्सर हिज्बुल्लाह कहा जाता है, यह लेबनान में सामाजिक सेवाएँ, स्कूल और अस्पताल चलाता है, साथ ही इज़राइल के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध भी करता है। यह समूह ईरान के रणनीतिक समर्थन पर बहुत हद तक निर्भर करता है, जिससे उसकी आपूर्ति, प्रशिक्षण और वित्तपोषण सम्भव होता है।

मुख्य पहलू और अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव

हिजबुल्लाह का गठन 1980 के दशक में इज़राइल के हमलों के जवाब में हुआ था, इसलिए उसका पहला लक्ष्य लेबनानी क्षेत्रों को सुरक्षा देना था। समय के साथ यह समूह राजनीति में भी प्रवेश कर, लेबनान की सरकार में भागीदारी लेता आया है। इसका प्रमुख उद्देश्य शिया पहचान को मजबूत करना और ईरानी मॉडल के आधार पर सामाजिक संरचना बनाना है। ईरान का समर्थन न केवल सैन्य उपकरणों में दिखता है, बल्कि विचारधारा और सन्देश में भी। इस कारण हिजबुल्लाह को कई देशों ने आतंकवादी संगठन की सूची में रखा है, जबकि कुछ राष्ट्र इसे लेबनान के राजनीतिक परिदृश्य का वैध हिस्सा मानते हैं। हिजबुल्लाह की सैन्य रणनीति में असमान्य गुटबाज़ी, रॉकेट क्षमताएँ और ग्राउंड फोर्सेज़ का मिश्रण शामिल है। यह समूह अपने रेडियोवॉयर, सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार एजेंसियों के माध्यम से सार्वजनिक राय को आकार देता है। साथ ही, यह मानवीय सहायता जैसे बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान कर स्थानीय जनसंख्या में अपनी पकड़ बनाता है। इस तरह के दोहरे चरित्र (सही और सशस्त्र) के कारण हिजबुल्लाह को "दुहेरा खेल" कहा जाता है। मध्य पूर्व के व्यापक सुरक्षा माहौल में, हिजबुल्लाह का असर केवल लेबनान तक सीमित नहीं है। इसका सीधा संबंध सीरिया, इराक और विशेषकर ईरान से है, जहाँ यह विभिन्न महाद्वीपीय गठबंधनों में भाग लेता है। इज़राइल के साथ लगातार टकराव, गाजा पट्टी में समर्थन, और अतीत में दक्षिणी लेबनान में सैन्य अभियान, सभी इस समूह को क्षेत्रीय शक्ति बना रहे हैं। इसलिए, भू-राजनीतिक विश्लेषक अक्सर कहते हैं कि "हिजबुल्लाह मध्य पूर्व की सुरक्षा समीकरण में एक महत्वपूर्ण चर है"। जब आप इस टैग पेज के नीचे की सूची देखेंगे, तो आप विभिन्न लेखों में हिजबुल्लाह की नवीनतम गतिविधियाँ, उसकी रणनीतियाँ, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और लेबनान में उसकी सामाजिक भूमिका से जुड़े विस्तृत विश्लेषण पाएँगे। इन लेखों के माध्यम से आप समझ पाएँगे कि कैसे एक स्थानीय समूह ने बड़ी अंतरराष्ट्रीय जटिलताओं को अपनाया और किस तरह से यह आज के मध्य पूर्व के जिओपॉलिटिकल परिदृश्य को आकार देता है।

ईरान-इज़राइल तनाव: इज़राइल को दंडित करना आवश्यक, मध्यपूर्व में युद्ध की संभावनाएँ बढ़ीं

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मध्यपूर्व में तनाव बढ़ने के साथ इज़राइल संभावित सैन्य कार्रवाई की तैयारी में जुटा है। हिजबुल्लाह के साथ हालिया संघर्ष में इज़राइल के आक्रमण के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है। इज़राइल और ईरान के बीच तनाव के बीच दोनों देशों ने बदले की धमकी दी है, जिससे संभावित युद्ध की संभावनाएँ बढ़ गई हैं। अमेरिका और अन्य देशों ने अपने नागरिकों को सुरक्षा के लिए लेबनान छोड़ने की सलाह दी है।