जब हम काशी मॉनसून, काशी (वाराणसी) क्षेत्र में वार्षिक बारिश का मौसम, जिसमें वर्षा‑पैटर्न, बाढ़ जोखिम और कृषि असर शामिल हैं. वाराणसी मॉनसून की बात करते हैं, तो तुरंत दो मुख्य घटक सामने आते हैं: मानसून, भारत में जून‑सितम्बर तक चलने वाला प्रमुख वर्षा‑सीजन और बाढ़, अधिक बारिश से उत्पन्न जल‑भवन की स्थिति. ये दोनों ही काशी मॉनसून के प्रभाव को तय करते हैं। साथ ही, जलभंडारण, बारिश के पानी को संग्रहित कर उपयोगी बनाना की तकनीकें इस क्षेत्र में पानी‑संकट को कम करने की कुंजी हैं।
पहला पहलू है वर्षा की मात्रा। पिछले पाँच वर्षों में काशी में औसत वार्षिक बारिश लगभग 1,200 mm रही है, पर कुछ सालों में 1,500 mm तक बढ़ गई है। इस उतार‑चढ़ाव का सीधा असर बाढ़ जोखिम पर पड़ता है। जब मानसून देर‑से‑शुरू या देर‑से‑खत्म होता है, तो जल‑भंडारण सुविधाओं पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे स्थानीय नदियों में जल‑स्तर तेज़ी से बढ़ता है। यही कारण है कि डार्जिलिंग जैसी पहाड़ी क्षेत्रों में भी काशी पर बाढ़ की सतर्कता बरती जाती है।
दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु है कृषि पर असर। काशी के आसपास का इलाका धान, मक्का और तिलहन जैसी फसलों के लिए प्रमुख है। पर्याप्त बारिश से फ़सल की जल‑आवश्यकता पूरी होती है, पर अत्यधिक वर्षा से जल‑जमाव और रोग‑बढ़ोतरी हो जाती है। इसलिए किसान अक्सर जलभंडारण के उपाय—जैसे टैंक‑टेट, जल‑संकुल—अपनाते हैं, जिससे बरसात के पानी को फ़सल के सूखे मौसम में उपयोग किया जा सके।
तीसरा पहलू है सामाजिक‑आर्थिक प्रभाव। जब बाढ़ का खतरा बढ़ता है, तो स्थानीय प्रशासन द्वारा निकासी, राहत‑सामग्रियां और अस्थायी shelters की तैयारी तेज़ी से शुरू होती है। पिछले साल काशी में 2,000 से अधिक परिवारों को अस्थायी आश्रय में रखा गया था, और यह आंकड़ा अगले वर्ष में बढ़ने की संभावना है, क्योंकि विशेषज्ञ मानते हैं कि मानसोन की अनियमितता बढ़ रही है।
इन सभी तत्वों के बीच घनिष्ठ संबंध है: मानसून बाढ़ को जन्म देता है, बाढ़ जलभंडारण की आवश्यकता को बढ़ाता है, और जलभंडारण कृषि उत्पादन को स्थिर करता है। इस सिलसिले को समझना काशी मॉनसून की पूरी तस्वीर देता है।
आपको नीचे काशी मॉनसून से जुड़ी ताज़ा खबरें, विशेषज्ञ विश्लेषण और स्थानीय रिपोर्ट्स मिलेंगी। इन लेखों में हम वर्षा‑डेटा, बाढ़‑सुरक्षा उपाय, जलभंडारण परियोजनाओं और किसानों के अनुभवों को विस्तार से कवर करेंगे, ताकि आप अपने क्षेत्र के मौसम के बारे में पूरी जानकारी रख सकें।
वाराणसी में लगातार हो रही भारी बारिश ने गर्मी से राहत दी है, लेकिन कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई है। IMD ने अगले 48 घंटों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। अगस्त में कुल 328 मिमी बारिश की उम्मीद है। स्वास्थ्य विभाग ने जलजनित रोगों को लेकर चेतावनी भी दी है।