When talking about महात्मा गांधी, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता, जिनकी विचारधारा आज भी सामाजिक और राजनीतिक जीवन में गूँजती है. Also known as बापू, वह अहिंसा, हिंसा के बिना संघर्ष करने की नीति, नॉन‑वायोलेंस और सत्योंाग्रह, सच्चाई के आधार पर अविचल विरोध को अपनाते हुए स्वराज्य, स्वयं शासन की अवधारणा को राष्ट्रीय लक्ष्य बनाया।
महात्मा गांधी का बचपन गुजरात के पोर्ट ब्लेयर में बीता, जहाँ उन्होंने अपने पिता के व्यापार में हाथ बंटाया। बचपन में पढ़ी पुरानी धार्मिक ग्रन्थों और इंग्लैंड में पढ़े कानून ने उनके विचारों को तीखा किया, लेकिन भारत की सामाजिक असमानताओं ने उन्हें एक अलग मार्ग पर ले जाया। इस गठजोड़ ने उन्हें स्वतंत्रता की लड़ाई में अहिंसा को मुख्य हथियार बनाने की प्रेरणा दी।
गांधी ने कहा, "अहिंसा केवल विचार नहीं, बल्कि कार्रवाई का जरिया है", जो एक स्पष्ट semantic triple बनाता है: महात्मा गांधी ने अहिंसा को सामाजिक परिवर्तन की कुंजी बताया। इसी तरह, सत्याग्रह को "सत्य + अहिंसा" का संयोजन बताया गया, जिससे वह स्वतंत्रता संघर्ष में अहिंसा का व्यावहारिक उपकरण बन गया – दूसरा प्रामाणिक त्रिपुट। स्वराज्य, गांधी की राजनैतिक लक्ष्य में केंद्रीय था; उन्होंने इसे "स्वयं शासन" के रूप में परिभाषित किया, जिससे भारतीय जनता को आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता दोनों मिल सकें।
इन विचारों ने 1919 के जलियांवाला बाग हताहतों को लेकर खिलाफत आंदोलन को दूरस्थ विधियों में बदल दिया। 1920‑1922 के असहयोग आंदोलन में लाखों लोगों ने यह सिद्ध किया कि बिना हिंसा के सरकार को चुनौती देना संभव है। समान विचारों ने बाद में 1930 के नमक सत्याग्रह को जन्म दिया, जहाँ गांधी ने समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश कर को चुनौती दी। इस कार्यक्रम में स्वराज्य का स्वरूप स्पष्ट रूप से दिखा: स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना और विदेशी निर्भरता को तोड़ना।
गांधी के विचार केवल स्वतंत्रता तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने सामाजिक सुधारों पर भी ध्याक दिया – जातिव्यवस्था का उखाड़ फेंकना, सुषुप्त महिलाओं को सशक्त बनाना और शारीरिक स्वच्छता को बढ़ावा देना। इन क्षेत्रों में उनका काम "अहिंसा के साथ सामाजिक न्याय" का नया रूप तैयार करता है, जिससे आज के कई सामाजिक आंदोलन उनके सिद्धांतों को अपनाते हैं।
आधुनिक भारत में गांधी की छाप स्पष्ट है। चाहे वह स्वच्छता अभियान हो या ग्रामीण विकास की योजनाएं, उनके सिद्धांतों की झलक मिलती है। कई राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्रों में स्वराज्य, स्थानीय उत्पादन और ग्राम्य आर्थिक सशक्तिकरण के मुद्दे शामिल होते हैं, जो सीधे गांधी के विचारों का प्रतिबिंब हैं। यही कारण है कि आज भी उनके नाम से जुड़े समारोह, पुस्तकें और डॉक्यूमेंट्री लगातार प्रकाशित होते हैं, और उनके विचारों पर चर्चा सोशल मीडिया में भी गर्म रहती है।
भविष्य की ओर देखते हुए, गांधी के विचार नई चुनौतियों के साथ भी प्रासंगिक रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण, सतत विकास और गैर-हिंसात्मक प्रतिरोध के मॉडल के रूप में अक्षय ऊर्जा के प्रयोग में उनका अहिंसात्मक दृष्टिकोण उपयोगी साबित हो रहा है। इस प्रकार, महात्मा गांधी की विचारधारा न सिर्फ इतिहास की एक धरोहर है, बल्कि वर्तमान और भविष्य दोनों के लिये एक दिशा-निर्देश भी है।
अब आप इस पेज पर नीचे सूचीबद्ध लेखों में गांधी से जुड़ी विभिन्न पहलुओं—राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक—का विस्तृत विश्लेषण देख सकते हैं, जो आपके समझ को और गहरा करेंगे। तैयार हो जाइए, क्योंकि आगे आने वाले लेखों में गांधी के सिद्धांतों का व्यावहारिक प्रयोग और उनका आधुनिक भारत में प्रभाव विस्तार से पढ़ने को मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जनवरी 2025 को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने राजघाट पर एक समारोह में भाग लिया और सोशल मीडिया पर एक संदेश साझा किया। यह दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है, जब लोग गांधी जी और भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों को याद करते हैं। महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिरला हाउस में की थी।