जब मानसून अलर्ट, एक ऐसी प्रणाली है जो भारी बारिश, बाढ़ और जल आपदा की संभावनाओं को पहले से ही बताती है, भी कहा जाता है मौसमी चेतावनी, तो यह जनता, किसान और प्रशासन को तुरंत तैयारी करने में मदद करती है। यह अलर्ट राष्ट्रीय मौसम सेवा, राज्य जल प्राधिकरण और स्थानीय एजेंसियों के डेटा को मिलाकर तैयार किया जाता है, इसलिए इसकी विश्वसनीयता काफी अधिक होती है। मानसून अलर्ट के बिना कई मौसमी आपदाओं का समय पर सामना करना मुश्किल हो जाता है।
पहली बार जब हम बाढ़, जलिकरण और सतही जल प्रवाह में अचानक बढ़ोतरी से पैदा होने वाली प्राकृतिक आपदा की बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि बाढ़ अक्सर मानसून अलर्ट के संकेत के साथ आती है। इसी तरह मौसम पूर्वानुमान, वायुमंडलीय स्थितियों का वैज्ञानिक अनुमान जो बारिश, तापमान और हवा की गति को बताता है मानसून अलर्ट को और सटीक बनाता है। जब परिसंचरण मॉडल बताएँ कि वर्षा की तीव्रता कब बढ़ेगी, तो अलर्ट सिस्टम तुरंत चेतावनी जारी कर सकता है। जल स्तर, नदियों, तालाबों और जलाशयों में पानी की ऊँचाई, जो बाढ़ जोखिम को मापने में प्रयोग होती है भी इस प्रक्रिया का अहम हिस्सा है; यदि जल स्तर निर्धारित सीमा से ऊपर जाता है, तो अलर्ट सक्रिय हो जाता है।
इन सबके अलावा कटाव, तीव्र बारिश के बाद मिट्टी के बड़े हिस्से का निकलना, जिससे ढहाव और भूमि क्षति होती है भी अक्सर मानसून अलर्ट में शामिल की जाती है, क्योंकि कटाव के कारण सड़क, घर और खेती के क्षेत्र में गंभीर नुकसान हो सकता है। इस प्रकार, मानसून अलर्ट, बाढ़, मौसम पूर्वानुमान, जल स्तर और कटाव आपस में जुड़ी इकाइयाँ हैं – एक दूसरे को प्रभावित करती हैं और समग्र सुरक्षा प्रदान करती हैं।
इन सम्मोहक कनेक्शनों को समझना आपके दैनिक योजना को आसान बना देता है। नीचे आप विभिन्न राज्यों और शहरों की ताज़ा मानसून अलर्ट, बाढ़ अपडेट, जल स्तर रिपोर्ट और कटाव की खबरें पा सकते हैं। चाहे आप किसान हों, शहर में रहने वाले हों या कोई सरकारी अधिकारी, यह संग्रह आपको सही समय पर सही कदम उठाने में मदद करेगा। अब आगे स्क्रॉल करके इस टैग से जुड़े सभी लेख देखें और अपनी सुरक्षा योजना को अपडेट करें।
इंडियन मेथियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने अगले सप्ताह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी से अत्यधिक बारिश का चेतावनी जारी किया है। विशेष तिथियों पर अत्यधिक वर्षा की संभावना है, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में बाढ़ और भूमि स्खलन का जोखिम बढ़ रहा है। जम्मू‑कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी बिखरे हुए तेज़ शॉवर की संभावना है। सभी नागरिकों को सतर्क रहने और सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।