उत्तरी भारत में अगले 7 दिनों में भारी बारिश का अलर्ट: उत्तराखंड‑हिमाचल में बाढ़‑भूस्खलन का खतरा

सित॰, 28 2025

भारी बारिश का विस्तृत पूर्वानुमान

भारत मेथियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने अगले सात दिनों में उत्तरी भारत के दो प्रमुख पहाड़ी राज्य‑ उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में तीव्र वर्षा की चेतावनी जारी की है। इस सक्रिय मानसून चरण के दौरान, दो राज्यों में भारी बारिश अलर्ट जारी किया गया है, जो आम तौर पर जून‑सितंबर के बीच देखा जाता है, लेकिन इस बार रेनफ़ॉल की तीव्रता सामान्य से कहीं अधिक है।

उत्तराखंड में विशेष रूप से 11, 13, 31 अगस्त तथा 1 सितंबर को अत्यधिक वर्षा की आशंका है। पिछले 24 घंटे में कुछ क्षमत क्षेत्रों में पहले ही अत्यधिक बारिश दर्ज हुई है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह पैटर्न जारी रहेगा। उत्तराखंड के हिलटॉप, घाटी और नदियों के किनारे वाले क्षेत्रों में जलस्तर जल्दी बढ़ सकता है।

हिमाचल प्रदेश में, विशेषकर दक्षिणी हिस्से में, 7‑13 अगस्त के बीच बिखरे हुए भारी शॉवर की संभावना है, जबकि 10 अगस्त के बाद रेनफ़ॉल की तीव्रता में स्पष्ट वृद्धि होगी। इस अवधि में बहुत भारी बारिश के संकेत मिल रहे हैं, जो लैंडस्लाइड और जलभरा पहाड़ी क्षेत्रों में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है।

सुरक्षा सलाह और संभावित नुकसान

आगे की कई प्रांतों में भी इस मानसून परिणामस्वरूप इंटरमिटेंट भारी बारिश का प्रभाव महसूस किया जाएगा। जम्मू & कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बिखरे हुए तेज़ शॉवर के साथ लंबी अवधि तक बारिश बने रहने की संभावना है। इसके साथ ही पूर्वोत्तर और ईशान्य भारत की भी कई राज्यें अगले सात दिनों में बहुत भारी बारिश से ग्रस्त रहेंगी।

मुख्य जोखिमों में बाढ़, अचानक भूस्खलन और नदी‑नालों में जलस्तर का तेजी से बढ़ना शामिल है। विशेषकर उत्तराखंड और हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों में नजदीकी बस्ती और कृषि क्षेत्र इन खतरों से सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। बाढ़ के कारण आवागमन बाधित हो सकता है, जबकि भूस्खलन के कारण कई गाँवों को पलायन की जरूरत पड़ सकती है।

स्थानीय प्रशासन ने पहले ही आपातकालीन प्रबंधन दलों को तैनात कर दिया है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे नियमित रूप से मौसम विभाग की अपडेट्स देखें, मोबाइल अलर्ट एक्टिव रखें और किसी भी असामान्य जलस्तर या धूसर धुंध दिखाई देने पर तुरंत स्थानीय अधिकारियों को सूचित करें।

कृषि क्षेत्र के लिए यह अवधि दोधारी तलवार की तरह है। जबकि कुछ फसलों को जल की पर्याप्त आपूर्ति मिल सकती है, परन्तु अत्यधिक बरसात से जलजमोइड, फसल नुकसान और खेतों की क्षति का जोखिम भी बढ़ जाता है। किसान ये समझकर उचित उपाय जैसे ज़मीन को ऊँचा करना, नाली साफ़ रखना और फसल संरक्षण के तरीकों को अपनाना चाहिए।

समग्र रूप से, यह सक्रिय मानसून चरण भारत के कई क्षेत्रों में जलसंकट और बाढ़‑भूस्खलन के जोखिम को बढ़ा रहा है। IMD ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि लोग बेरोकटोक सुरक्षा उपाय अपनाएँ और आवश्यक होने पर स्थानीय आपातकालीन सेवाओं की सहायता लें।