मूल्य वृद्धि: क्या बदल रहा है और क्यों?

जब हम मूल्य वृद्धि, वास्तव में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में निरंतर बढ़ोतरी, जिसे महंगाई भी कहा जाता है, कीमत वृद्धि की बात करते हैं, तो आमतौर पर दो सवाल दिमाग में आते हैं – यह क्यों हो रही है और इसका असर हमारे रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर क्या पड़ेगा? इसी सवाल का जवाब देने के लिए हमें कुछ प्रमुख संस्थाओं को समझना ज़रूरी है। पहले देखें शेयर बाजार, देश के प्रमुख स्टॉक्स, सूचकांक और ट्रेडिंग वॉल्यूम का समुच्चय को। जब शेयर बाजार में कंपनियों के स्टॉक्स की कीमतें बढ़ती हैं, तो अक्सर यह संकेत मिलता है कि कंपनियों को उत्पादन में बढ़ती लागत का सामना करना पड़ रहा है। दूसरा महत्वपूर्ण घटक है मुद्रास्फीति, सामान्य मूल्य स्तर में निरंतर वृद्धि, जिसे सेंटरल बैंक अक्सर लक्ष्य दर के साथ नियंत्रित करता है। मुद्रास्फीति के बढ़ते आंकड़े सीधे मूल्य वृद्धि को तेज़ कर देते हैं, क्योंकि उपभोक्ता जरूरतें अधिक खर्चीली बन जाती हैं। इन दो संस्थाओं के बीच का रिश्ता अक्सर समाचार में दिखता है, जैसे यू‑सिया ट्रेड वार के बाद वस्तु कीमतों में उछाल, या बड़े IPO के बाद शेयरों की कीमतों का उछाल। मूल्य वृद्धि को समझने के लिए इन बिंदुओं को जोड़ना ज़रूरी है, क्योंकि यही वह बुनियादी जाल है जहाँ से आर्थिक संकेतक जुड़ते हैं।

नंदिनी दूध के मूल्य वृद्धि पर CM सिद्धारमैया का पक्ष: किसानों और उपभोक्ताओं को होगा फायदा

नंदिनी दूध के मूल्य वृद्धि पर CM सिद्धारमैया का पक्ष: किसानों और उपभोक्ताओं को होगा फायदा

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) की ओर से नंदिनी दूध की पैकेजिंग और कीमतों में बदलाव की घोषणा के बाद राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि KMF ने स्वतंत्र रूप से यह निर्णय लिया है। मिश्रित प्रतिक्रिया के बीच, यह निर्णय दुग्ध उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों के लाभ के लिए लिया गया है।