अगर आप शेयर बाजार की चाल समझना चाहते हैं, तो सेंसेक्स को देखना जरूरी है। जब हम सेंसेक्स, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स, सेंसैक्स की बात करते हैं, तो इससे पूरे भारतीय इक्विटी मार्केट की दिशा का अनुमान मिलता है। यह इंडेक्स 30 बड़े‑बड़े कंपनियों के शेयर कीमतों का औसत है, इसलिए इसका उतार‑चढ़ाव निवेशकों के मनोभाव को सीधे प्रतिबिंबित करता है।
सेंसेक्स अकेला नहीं चलता; इसे Nifty, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का दूसरा प्रमुख सूचकांक, निफ़्टी के साथ अक्सर तुलना किया जाता है। दोनों सूचकांक मिलकर बाजार की समग्र ताकत दिखाते हैं। जब Nifty ऊपर जाता है, तो अक्सर सेंसेक्स भी साथ‑साथ बढ़ता है, और उलटा भी सही है। इस कारण निवेशक दोनों को एक साथ देखते हैं ताकि उन्होंने कौन‑सी धारा में पैसा लगाना है, यह तय कर सकें।
सेंसेक्स और Nifty दोनों ही बाहरी कारकों से संवेदनशील होते हैं। उदाहरण के तौर पर, US‑China ट्रेड वार, अमेरिका‑चीन के बीच व्यापारिक टकराव की खबरें अक्सर भारतीय सूचकांकों को नीचे धकेल देती हैं। जब दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में टैरिफ बढ़ते हैं, तो निर्यात‑आधारित कंपनियों के शेयर गिरते हैं, जिससे सेंसेक्स में गिरावट आती है। इसी तरह, तेल की कीमत, वैश्विक ब्याज दरों में बदलाव, और RBI की मौद्रिक नीति भी इस इंडेक्स को प्रभावित करती हैं।
रिटेल और इंस्टिट्यूशनल दोनों निवेशकों का सेंसेक्स में अलग‑अलग प्रभाव होता है। खुदरा निवेशक अक्सर खबरों और सोशल मीडिया से प्रेरित होते हैं, जबकि संस्थागत फ़ंड बड़े‑पैमाने पर ट्रेड करते हैं और तकनीकी चार्ट पर भरोसा करते हैं। जब दोनों समूह एक ही दिशा में चलते हैं, तो इंडेक्स में तेज़ी आती है; लेकिन अगर उनका मतभेद हो, तो volatility बढ़ जाती है। यही कारण है कि सेंसेक्स सिर्फ़ आँकड़े नहीं, बल्कि बाजार के विभिन्न पुट्स का मिश्रण है।
व्यावहारिक तौर पर, सेंसेक्स का उपयोग कई निवेश उत्पादों में किया जाता है। इंडेक्स फंड, ETFs, फ्यूचर्स और ऑप्शन्स सभी इस सूचकांक से जुड़े होते हैं। अगर आप लंबी अवधि के लिए प्लान बना रहे हैं, तो सेंसेक्स ट्रैकिंग फंड एक आसान विकल्प हो सकता है। वहीँ, डे ट्रेडर अक्सर फ्यूचर्स पर लेवरेज के साथ छोटा‑छोटा लाभ कमाने की कोशिश करते हैं। इस तरह के उत्पादों की समझ रखने से आप सूचकांक के बदलावों को सीधे अपने पोर्टफ़ोलियो में बदल सकते हैं।
इतिहास में सेंसेक्स ने कई उल्लेखनीय मोड़ देखे हैं। 13 अक्टूबर 2025 को US‑China ट्रेड वार के कारण सूचकांक 173 अंक गिरा था, जबकि उसी महीने के बाद कुछ पॉज़िटिव डेटा ने इसे फिर से गति दी। ऐसे घटनाक्रम दर्शाते हैं कि आर्थिक संकेतकों, सरकारी नीतियों और अंतरराष्ट्रीय स्थितियों का संलयन ही सेंसेक्स को रूप देता है। इन अस्थायी उतार‑चढ़ाव को समझकर आप दीर्घकालिक रुझानों को पहचान सकते हैं।
अब आप तैयार हैं इस पृष्ठ पर उपलब्ध लेखों को पढ़ने के लिए। नीचे दी गई सूची में आप सेंसेक्स से जुड़ी ताज़ा ख़बरें, विश्लेषण और निवेश टिप्स पाएँगे, जिससे आपका मार्केट ज्ञान और भी गहरा हो जाएगा।
भारतीय शेयर बाजार में छ: दिन की भारी गिरावट के कारण सेंसेक्स मध्य अगस्त के स्तर पर पहुंच गया है। इस गिरावट का मुख्य कारण मध्य पूर्व संघर्ष का डर है जिससे भारत के लिए महत्वपूर्ण तेल आपूर्ति में बाधा की चिंता उत्पन्न हुई है। प्रमुख कंपनियों का प्रदर्शन भी गिरावट में योगदान दे रहा है।