जब हम सुरक्षा प्रोटोकॉल, डेटा, नेटवर्क और एप्लिकेशन को अनधिकृत पहुंच व दुष्प्रभाव से बचाने के नियम और तकनीकें. Also known as सुरक्षा मानक, it पहचान, एन्क्रिप्शन और मॉनिटरिंग को मिलाकर एक सतत सुरक्षा परत बनाता है। यह केवल आईटी विभाग का काम नहीं, बल्कि हर यूज़र, हर कंपनी और सरकारी एजेंसी पर लागू होने वाला एक आवश्यक फ्रेमवर्क है। डेटा एन्क्रिप्शन, सूचना को कोडित करके पढ़ने योग्य बनाना कठिन बनाता है इस फ्रेमवर्क का पहला पिलर है। बिना एन्क्रिप्शन के ट्रांसमिशन के दौरान डेटा पकड़ा जाए तो पूरी प्रणाली खतरे में पड़ जाती है – जैसे यू‑ट्यूब के 15 अक्टूबर के ग्लोबल आउटेज में देखा गया, जहाँ बड़ी संख्या में यूज़र को सर्विस नहीं मिल पाई और संदेह उत्पन्न हुआ कि क्या सुरक्षा नियंत्रण ठीक से काम कर रहे थे। इसी कारण कंपनियां एन्क्रिप्शन को डिफ़ॉल्ट बनाती हैं। ऑथेंटिकेशन, उपयोगकर्ता की पहचान सत्यापित करने की प्रक्रिया दूसरा मुख्य घटक है। जब आप बैंकिंग एप्लिकेशन में लॉगिन करते हैं, तो दो‑फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) आपके खाते को फ़िशिंग या पासवर्ड ब्रीच से बचाता है। यही कारण है कि आयकर रिटर्न फॉर्म को सरल बनाने की नई पहल में सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई, क्योंकि वित्तीय डेटा को गलत हाथों में नहीं पड़ना चाहिए।
व्यापारिक तनाव और साइबर खतरों का तालमेल अक्सर उलझन पैदा करता है। US‑China ट्रेड वार जैसे आर्थिक टकराव में, कंपनियों को न सिर्फ कस्टम्स नियमों की पालना करनी पड़ती है, बल्कि डेटा एक्सचेंज को सुरक्षित रखने के लिए नेटवर्क फ़ायरवॉल और इंट्रुज़न डिटेक्शन सिस्टम (IDS) की जरूरत होती है। फ़ायरवॉल, अधिकृत और अनधिकृत नेटवर्क ट्रैफ़िक को फ़िल्टर करने का उपकरण इन स्थितियों में पहला बचाव कवच बनता है। इसके अलावा इंट्रुज़न डिटेक्शन सिस्टम, संभावित हमले या असामान्य गतिविधियों को पहचानने वाली निगरानी प्रणाली वाकई में बड़े डेटा सेंटर्स को रिस्क से बचाता है। डिजास्टर मैनेजमेंट में भी सुरक्षा प्रोटोकॉल काम आते हैं। उत्तराखंड‑हिमाचल में भारी बारिश का अलर्ट जारी होने पर सरकारी एजेंसियां आपातकालीन संचार के लिए एन्क्रिप्टेड चैनल और दो‑स्तरीय ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल करती हैं, ताकि लोकेशन डेटा और राहत सामग्री की जानकारी सुरक्षित रहे। यही कारण है कि स्थानीय प्रशासन को खुफिया सुरक्षा प्रोटोकॉल को अपडेट रखना अनिवार्य है।
इन सभी उदाहरणों से स्पष्ट है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल केवल तकनीकी शब्द नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की खबरों, आर्थिक बदलावों और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा में जड़ें जमाए हुए सिद्धांत हैं। नीचे आप देखेंगे कि हमारी साइट पर किन‑किन लेखों में इन प्रोटोकॉल के विविध पहलुओं को समझाया गया है – चाहे वह यू‑ट्यूब आउटेज की तकनीकी जाँच हो, या ट्रेड वार से जुड़े साइबर‑सुरक्षा उपाय, या फिर आयकर फ़ॉर्म में लागू नई सुरक्षा व्यवस्थाएँ। पढ़ते रहें और जानें कैसे ये प्रोटोकॉल आपके डिजिटल जीवन को सुरक्षित बनाते हैं।
मुम्बई के समुद्रतट के पास एक दर्दनाक नौका दुर्घटना में 13 लोगों की मौत हुई और 101 लोगों को बचाया गया है। यह हादसा एक नेवी स्पीड बोट के नेलकमल नामक नौका से टकराने के कारण हुआ। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मृतकों के परिजनों को ₹5 लाख की सहायता राशि देने की घोषणा की है। दुर्घटना के कारणों की जांच के लिए स्थानीय प्रशासन और नेवी द्वारा जांच की जा रही है।