जब हम उपमुख्यमंत्री, राज्य के कार्यकारी विभागों में प्रधान मंत्री के सहायक, प्रमुख कार्यकर्ता, Also known as उपमुख्य की बात करते हैं, तो यह समझना जरूरी है कि इस पद का दायरा केवल नामगीर नहीं, बल्कि सशक्त प्रशासनिक शक्ति है। राज्य सरकार में मुख्यमंत्री, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नीति निर्धारण के प्रमुख के साथ घनिष्ठ सहयोग उपमुख्यमंत्री की सबसे बड़ी आवश्यकता है। यह सहयोग राज्य सरकार के समग्र कार्यों को तेज़ और प्रभावी बनाता है, जिससे विकास योजना जैसे विकास योजना, आधारभूत परियोजनाओं की योजना और निष्पादन सफल होती हैं।
उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी में विभागीय मामलों की निगरानी, संकट समय में त्वरित निर्णय लेना, और विधानसभा में सरकार की आवाज़ बनना शामिल है। उदाहरण के तौर पर, जब कोई राज्य प्राकृतिक आपदा का सामना करता है, तो उपमुख्यमंत्री अक्सर संकट प्रबंधन का प्रमुख चेहरा बनते हैं, जिससे मुख्यमंत्री को रणनीतिक दिशा प्रदान की जाती है। साथ ही, भारतीय राजनीति के बड़े खेल में, उपमुख्यमंत्री अक्सर भविष्य के मुख्यमंत्री के रूप में गढ़े जाते हैं, क्योंकि उन्हें जनता के करीब रहना और नीतियों का व्यावहारिक कार्यान्वयन देखना पड़ता है।
इन भूमिकाओं को समझने के बाद, यह स्पष्ट हो जाता है कि उपमुख्यमंत्री का काम केवल कागज़ी पद नहीं, बल्कि राज्य के विकास और प्रशासनिक सुदृढ़ीकरण में अहम कड़ी बनना है। उनका कार्य आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में विशेष पहल चलाना, और स्थानीय निकायों के साथ समन्वय स्थापित करना भी शामिल है। यही कारण है कि जब हम उपमुख्यमंत्री के बारे में पढ़ते हैं, तो हम राज्य सरकार, मुख्यमंत्री, और विकास योजना जैसे प्रमुख संस्थाओं के बीच गहरा संबंध देख पाते हैं। आगे पढ़ते हुए आप विभिन्न क्षेत्रों में उपमुख्यमंत्री के योगदान के विस्तृत उदाहरण पाएँगे, चाहे वह अर्थव्यवस्था की मजबूती हो या सामाजिक कल्याण के पहल।
उधयनिधि स्टालिन ने उपमुख्यमंत्री के रूप में अपनी नियुक्ति पर हो रही आलोचना का सामना करते हुए कहा है कि वह अपने कार्यों के माध्यम से इसका जवाब देंगे। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उधयनिधि को 29 सितंबर 2024 को शपथ दिलाई गई थी, और उन्हें योजना और विकास का विभाग भी सौंपा गया है। विपक्षी दलों ने इसे 'वंशवाद राजनीति' का उदाहरण बताया है।