तमिलनाडु की राजनीति में एक नया अध्याय तब जुड़ गया जब मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के पुत्र उधयनिधि स्टालिन को उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। उनके इस प्रमोशन पर तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं, कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक। खासकर विपक्षी दल AIADMK और बीजेपी ने इसे 'वंशवाद राजनीति' कहा है। लेकिन उधयनिधि ने इन आलोचनाओं का सामना करने का अपना तरीका चुना है - वह अपने काम के माध्यम से इनका जवाब देंगे।
उधयनिधि का राजनीतिक सफर
उधयनिधि लंबे समय से राजनीति के मैदान में सक्रिय रहे हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव हो या 2024 के लोकसभा चुनाव, उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है। इन चुनावों में डीएमके को मिली सफलता में उनकी रणनीति और मेहनत का बड़ा हाथ रहा। उनकी छवि एक युवा और ऊर्जा से भरपूर नेता की है, जो जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने में कामयाब रहे हैं।
ध्यान में रखते हुए अगला चुनाव
यह प्रमोशन ऐसे समय में हुआ है जब तमिलनाडु में 2026 के विधानसभा चुनाव सिर पर हैं। इस राजनीतिक कदम से साफ है कि डीएमके उधयनिधि को बड़ी भूमिका में देखना चाहती है। यह देखते हुए कि उधयनिधि युवा हैं और जनता के बीच में लोकप्रिय हैं, उनका प्रमोशन पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
शपथग्रहण समारोह
29 सितंबर 2024 को राजभवन, चेन्नई में आयोजित शपथग्रहण समारोह में उधयनिधि स्टालिन ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि और अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी उपस्थिति दर्ज कराई।
आलोचनाओं का जवाब
उधयनिधि ने इस प्रमोशन की आलोचनाओं को व्यक्तिगत न लेते हुए कहा है कि वे अपने काम और मेहनत के जरिए इन आलोचनाओं का जवाब देंगे। उन्होंने कहा, 'मैं सिर्फ बातों में यकीन नहीं रखता, मैं अपने काम से लोगों को अपनी काबिलियत साबित करूंगा।' यह बयान उनके आत्मविश्वास और जिम्मेदारियों के प्रति उनकी गंभीरता को दर्शाता है।
विभागीय जिम्मेदारियां
उपमुख्यमंत्री बनने के बाद उधयनिधि को योजना और विकास का महत्वपूर्ण विभाग सौंपा गया है। इसके अलावा वे युवा कल्याण और खेल विकास के अपने पूर्व निर्धारित विभाग की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। योजना और विकास का विभाग उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा, खासकर तब जब राज्य के विकास की रफ्तार पर सभी की निगाहें लगी हों।
डीएमके का बचाव
डीएमके ने उधयनिधि की उपमुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा है कि यह कदम पार्टी और उसके नेता एमके स्टालिन का निर्णय है। पार्टी प्रवक्ता ने इसे 'बैठकर निर्णय लेने' का नाम दिया है और कहा है कि उधयनिधि में वरिष्ठता और काबिलियत है जो उन्हें इस पद के योग्य बनाती है।
उधयनिधि के राजनीतिक सफर और उनके नाम की लोकप्रियता को देखते हुए यह नियुक्ति तमिलनाडु की राजनीति में एक नया और महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। अब देखना यह है कि उधयनिधि इस नई जिम्मेदारी को कैसे निभाते हैं और क्या वास्तव में वे अपनी मेहनत और काबिलियत से आलोचकों का मुंह बंद करने में सफल होते हैं।