जब S C Ralhan, President of Federation of Indian Export Organisations (FIEO) ने कहा कि भारत को "टैरिफ‑वॉर" से मौका मिल सकता है, तब भारत के शेयर बाजार में हलचल शुरू हो गई। सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 को India का BSE Sensex 173 अंक गिरकर 66,112 पर बंद हुआ, जबकि Nifty 25,227 पर समेटा। यह गिरावट सीधे United States Government द्वारा 1 नवंबर 2025 से लागू किए जाने वाले 100% अतिरिक्त टैरिफ, यानी कुल 130% टैरिफ, के कारण थी, जो Chinese Government के दुर्लभ पृथ्वी (रेयर अर्थ) निर्यात पर लगे प्रतिबंधों का प्रतिवाद था।
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का इतिहास और हालिया प्रगति
2024 के अंत में दोनों महाशक्तियों के बीच टैरिफ लड़ाई फिर से तेज हो गई। 9 अक्टूबर 2025 को Chinese Government ने एल्युमिनियम, लिथियम और अन्य दुर्लभ पृथ्वी धातुओं के निर्यात पर कठोर नियंत्रण लगा दिया, जिसके बाद US 100% Tariff on Chinese GoodsUnited States की घोषणा हुई। इस कदम का मूल उद्देश्य अमेरिकी रक्षा, इलेक्ट्रिक वाहनों और स्वच्छ ऊर्जा उद्योगों में चीनी सप्लाई को सीमित करना था।
बाजार में कड़ाके की गिरावट: बेंचमार्क और आंकड़े
ट्रेड वॉर की खबर के बाद निवेशकों के मन में डर की लहर दौड़ गई। Sensex ने 173 अंक की गिरावट दर्ज की, जबकि Nifty ने 25,227 पर समेटा—दोनों सूचकांक पिछले शुक्रवार की क्लोजिंग से क्रमशः 0.26% और 0.18% नीचे थे। फेडरल रिट्युरन पर असर कम नहीं रह गया; 5‑दिन में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने लगभग ₹7,000 करोड़ का शुद्ध खरीद किया, जिसमें 10 अक्टूबर 2025 को अकेले ₹459 करोड़ का बड़ा लेन‑देन शामिल था। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने खरीद में कटौती की, जिससे निवेश प्रवाह में दोधारी धुंध दिखाई दी।

मुख्य कलाकारों की प्रतिक्रियाएँ
एक तरफ S C Ralhan, President of Federation of Indian Export Organisations (FIEO) ने कहा, “हम इस वृद्धि से लाभ उठा सकते हैं; 2024‑25 वित्तीय वर्ष में हमने यूएस को $86 बिलियन का माल निर्यात किया, जो हमारे कुल निर्यात का 18% है।” टेक‑सेक्टर्स ने भी आशावादी लहजा अपनाया—पिछले हफ्ते का IT इंडेक्स 2.3% बढ़ा, जबकि अन्य क्षेत्रों में अस्थिरता बरकरार रही। पुनःफॉर्मेशन के बाद, कई एनालिस्ट्स ने सलाह दी कि फार्मास्यूटिकल, टेक्सटाइल और खिलौना उद्योगों में निवेशकों को “टैरिफ‑इम्पैक्टेड” शेयरों की ओर मुड़ना चाहिए।
भविष्य में संभावित प्रभाव और अवसर
अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया कि Nifty के लिए दीवाली‑सीज़न (अक्टूबर‑नवम्बर 2025) के दौरान 5% तक की रिट्रेसमेंट की संभावना है, जबकि दीर्घकालिक मैक्सिमम 30,000‑70,000 अंक तक पहुंच सकता है, यदि टैरिफ‑लेवल्स स्थिर रहें। बांड यील्ड्स ने 6.5% पर स्थिरता बनाए रखी, जिससे इक्विटी‑बॉन्ड पोर्टफोलियो की लग्ज़री रिटर्न पर असर नहीं पड़ा। दूसरी ओर, पेट्रोलियम और ऊर्जा कंपनियों को निर्यात‑अवरोध के कारण वोलैटिलिटी बढ़ते देखी जा रही है, जिससे निवेशकों को सतर्क रहना पड़ सकता है।

आगे क्या हो सकता है? विश्लेषकों की राय
उभरते हुए डेटा के अनुसार, यदि यूएस‑चीन टैरिफ वार्षिक 2‑3% बढ़ती रही, तो भारत को सीधे “रिप्लेसमेंट” मार्केट में प्रवेश करने का मौका मिलेगा। इस दिशा में, भारतीय सरकार ने पहले ही अमेरिकी ट्रेड प्रतिनिधि से द्विपक्षीय समझौते की बात शुरू कर दी है—जिसमें दोनों पक्षों को लाभ पहुंचाने वाले एग्रीमेंट पर काम चल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर कॉर्पोरेट earnings visibility और स्पष्ट व्यापार नीति ही अगले महीने के निवेश के टर्न‑ऑफ़ का मुख्य कारक होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या US‑China टैरिफ वॉर भारतीय निर्यातकों को सच में मदद करेगा?
संभावना है। जब अमेरिकी बाजार में चीनी वस्तुओं पर 130% टैरिफ लगेगा, तो अमेरिकी आयातकों को वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता चाहिए। फिएओ के आंकड़ों के अनुसार, 2024‑25 में भारत ने यूएस को $86 बिलियन का माल बेचा, जो 18% कुल निर्यात का हिस्सा है। टेक्सटाइल, खिलौना और कुछ औद्योगिक घटकों में भारतीय कंपनियां अब तेज़ी से अपने शेयर विस्तार की योजना बना रही हैं।
सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट का मुख्य कारण क्या था?
मुख्य कारण US‑China टैरिफ एस्केलेशन था, जिसने निवेशकों के डर को भड़काया। 13 अक्टूबर को यूएस ने 1 नवम्बर से 100% अतिरिक्त टैरिफ लागू करने की घोषणा की, जिससे निफ्टी 25,227 पर और सेंसेक्स 173 अंक गिरते हुए बंद हुआ। इस के साथ ही FIIs ने बड़े पैमाने पर खरीदारी की, पर DIIs की कम खरीदारी ने बाजार में असंतुलन पैदा किया।
कौन-से सेक्टर इस टैरिफ माहौल में सबसे अधिक लाभ उठा सकते हैं?
टेक्सटाइल, खिलौना, एग्रीकल्चर प्रोसेसिंग और कुछ एरोस्पेस घटकों के निर्माता सबसे अधिक लाभ की उम्मीद कर रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इन सेक्टरों के स्टॉक्स अब “टैरिफ‑इम्पैक्टेड” वर्ग में आते हैं, इसलिए जोखिम लेने वाले निवेशकों को इनपर ध्यान देना चाहिए।
भविष्य में निफ्टी के लिए क्या लक्षित रेंज है?
विशेषज्ञों का अनुमान है कि दीवाली के आसपास निफ्टी 26,500‑27,000 के बीच संभावित है, बशर्ते टैरिफ स्तर स्थिर रहें और कॉर्पोरेट आय में स्पष्टता आए। हालांकि, अगर टैरिफ वार्ता में नई रोशनी नहीं आती, तो 5% रिट्रेसमेंट तक गिरना भी संभव है।
FIIs की भारी खरीदारी का क्या मतलब है?
पिछले पाँच ट्रेडिंग दिनों में FIIs ने कुल ₹7,000 करोड़ की खरीदारी की, जिसका मुख्य कारण वैश्विक टैरिफ अस्थिरता के बीच भारतीय इक्विटी को सुरक्षित शरण मानना है। यह रुझान दर्शाता है कि विदेशी पूंजी अभी भी भारत के दीर्घकालिक विकास पर विश्वास रखती है, भले ही अल्पकालिक बाजार में उतार‑चढ़ाव हो।
SIDDHARTH CHELLADURAI
अक्तूबर 14, 2025 AT 00:57अभी के बाजार में तनाव को देखते हुए थोड़ी हार मानने की ज़रूरत नहीं है 😊। टैरिफ वॉर को एक अवसर के रूप में देखें, इससे हमारी एक्सपोर्ट सेक्टर को बढ़ावा मिल सकता है। धीरज रखिए और पोर्टफोलियो को संतुलित रखें। मिलकर हम इस माहौल को पार कर लेंगे 🚀