व्यक्तिगत षड्यंत्र और आरोपों की लहरों में फंसे विकाश यादव: पूर्व RAW अधिकारी पर हत्या की साजिश का आरोप

अक्तू॰, 20 2024

पूर्व RAW अधिकारी विकाश यादव: विवाद और आरोपों की कहानी

पूर्व भारतीय रॉ अधिकारी विकाश यादव एक जटिल और संवेदनशील मामले के केंद्र में हैं जिसे अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा प्रकाशित किया गया है। यादव पर एक अलगाववादी नेता गुरुपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की योजना बनाने का गंभीर आरोप लगाया गया था। अमेरिकी न्याय विभाग ने उन्हें 'मर्डर फॉर हायर' और 'मनी लॉन्ड्रिंग' के मामले में आरोपित किया है। यह मामला वास्तव में कई परतों में जटिल है और इसमें अंतरराष्ट्रीय डिप्लोमेटिक रिश्तों का गंभीर मोड़ शामिल है।

विकाश यादव का नाम पहली बार अमेरिकी दस्तावेजों में सह-षड्यंत्रकारी के रूप में पिछले नवंबर में आया था। इसके अंतर्गत उन्हें पन्नू की हत्या की साजिश में आरोपित किया गया था। इस घटना के तीन सप्ताह बाद दिल्ली पुलिस के विशेष दस्ते ने उन्हें एक जबरन वसूली के मामले में गिरफ्तार कर लिया था। आरोपों के अनुसार, वे दिल्ली के रोहिणी निवासी की शिकायत पर पकड़े गए थे। शिकायतकर्ता ने यादव को जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से जोड़कर प्रस्तुत किया था। यादव ने तिहाड़ जेल में चार महीने बिताए और उन्हें अप्रैल 2024 में जमानत पर रिहा किया गया। इस घटना पर प्रकाश डालते समय यह स्पष्ट है कि यह मामला किस तरह राजनीतिक और व्यक्तिगत पक्षों से जुटकर एक जटिल नेटवर्क को दर्शाता है।

सरकारी सेवाओं में विवादित प्रविष्टियाँ और कानूनी आरोप

शिकायत के आधार पर, यादव और उनके सहयोगी को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें हत्या का प्रयास, आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण, धमकी देना, गलत तरीके से कैद करना, और जहर देना शामिल थे। चार्जशीट में उनकी पेशेवर पृष्ठभूमि का उल्लेख नहीं था, लेकिन उनका जन्मस्थान प्रानपुरा, हरियाणा दर्ज किया गया था, जो अमेरिकी दस्तावेजों में दिए गए स्थान से मेल खाता था। यह तथ्य महत्वपूर्ण था क्योंकि आरोप उनके वैश्विक नीटवर्किंग और अन्य देशों की मदद लेने की क्षमता को दिखाता था।

सरकार और अमेरिकी आरोपों पर बयान

सरकार और अमेरिकी आरोपों पर बयान

अमेरिकी न्याय विभाग की आरोप पत्र के अनुसार, विकाश यादव ने मई 2023 में पन्नू की हत्या की योजना बनाई थी। इस योजना में उन्होंने भारत और विदेशों में लोगों के साथ काम किया। एफबीआई ने यादव को वांछित सूची में डाल दिया है और उनके बारे में जानकारी तक पहुंचने की कोशिश जारी है। इस मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय ने संवाददाताओं को जानकारी दी कि यादव अब सरकार का हिस्सा नहीं हैं, जबकि वह एक समय पर कैबिनेट सचिवालय के साथ काम कर चुके थे। इस मुद्दे पर, अमेरिकी सरकारी दस्तावेजों में उनका नाम 'भारतीय सरकारी कर्मचारी' के रूप में संदर्भित किया गया था।

विकाश यादव पर अमेरिका में 100,000 डॉलर में पन्नू की हत्या के लिए एक व्यक्ति को किराए पर लेने का आरोप भी लगाया गया है। इस योजना के कारण भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के समय इसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया था, ताकि डिप्लोमेटिक प्रभाव से भी बचा जा सके। भारतीय सरकार ने इस कथित षड्यंत्र में किसी भी प्रकार की भूमिका से इनकार किया है और विदेश मंत्रालय ने यह पुष्टि की है कि यादव अब सरकार के कर्मचारी नहीं हैं। यह घटना दोनों देशों के डिप्लोमेटिक संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो दर्शाता है कि आज की वैश्विक राजनीति और कूटनीति में किस तरह के दुस्साहसी भूमिका निभाई जा सकती है।