रक्षा दिवस पर असिम मुनीर का बयान
पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल असिम मुनीर ने 6 सितंबर को रावलपिंडी में आयोजित रक्षा दिवस समारोह में पहली बार सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान सेना की सक्रिय भूमिका थी। यह बयान पाकिस्तान के पूर्व दावों के विपरीत है, जिनमें पाकिस्तान ने यह कहा था कि कारगिल युद्ध में केवल निजी 'स्वतंत्रता सेनानियों' ने भाग लिया था।
कारगिल युद्ध का संक्षिप्त इतिहास
कारगिल युद्ध 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। इस युद्ध में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के पास कारगिल और द्रास सेक्टर में पाकिस्तानी सेनाओं ने नियंत्रण क्षेत्र के पार भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी। यह युद्ध लगभग तीन महीने तक चला और अंततः भारतीय सेना ने जीत हासिल की थी।
पहली बार कबूल की भूमिका
जनरल असिम मुनीर ने रक्षा और शहीद दिवस के कार्यक्रम में पाकिस्तान आर्मी की भूमिका को स्वीकार करते हुए कहा कि कारगिल युद्ध में पाक सेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने इसे पाकिस्तान की साहसी और बहादुर सेना को श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि पाकिस्तान हमेशा अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार रहता है।
उन्होंने संबोधन में 1948, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में जान न्यौछावर करने वाले शहीदों के बलिदान को भी याद किया। इस मौके पर उन्होंने पाकिस्तान की जनता के साहस और देशभक्ति की प्रशंसा की और उन्हें देश की असल ताकत बताया।
पहले भी कबूल चुकी है सेना
यह पहली बार नहीं है जब किसी पाकिस्तान सेना प्रमुख ने कारगिल युद्ध में सेना की भूमिका को स्वीकार किया है। पहले भी पूर्व आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ने अपनी पुस्तक 'इन द लाइन ऑफ फायर' में यह स्वीकार किया था कि पाकिस्तान सेना, विशेषत: उत्तरी लाइट इन्फेंट्री, इस युद्ध में शामिल थी।
युद्ध के परिणाम
कारगिल युद्ध ने भारत और पाकिस्तान को एक बार फिर से परमाणु युद्ध की कगार पर ला दिया था। हालांकि, बाद में अमेरिकी हस्तक्षेप से स्थिति में सुधार हुआ और युद्ध समाप्त हुआ। इस युद्ध में कई भारतीय और पाकिस्तानी सैनिक शहीद हुए थे। पाकिस्तान के दो वीर सैनिक - कैप्टन कर्नल शेर खान और हवलदार लालक जैन को उनकी बहादुरी के लिए पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार निशान-ए-हैदर दिया गया था।
कारगिल युद्ध की महत्ता
कारगिल युद्ध ने भारत और पाकिस्तान के संबंधों को बहुत हद तक प्रभावित किया था। युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था और इसे लेकर कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं भी सामने आई थीं। यह युद्ध इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसने यह साबित कर दिया था कि एलओसी पर लगातार निगरानी और सुरक्षा प्रहरी की जरूरत है।
युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने अद्वितीय साहस का प्रदर्शन किया था और पहाड़ी क्षेत्रों में कठिनाइयों के बावजूद, उन्होंने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़कर पूरे क्षेत्र को पुनः अपने नियंत्रण में लिया था। इस युद्ध ने दोनों देशों के सैन्य बलों में पेशेवर योग्यता और रणनीतिक कौशल की परी...