शक्तिकांत दास की नियुक्ति का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास को अपने दूसरे प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त कर एक नया कदम उठाया है। यह पहली बार है जब इस तरह की एक नई स्थिति बनाई गई है। दास, एक 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उनका यह नया पद पीएम के कार्यकाल के साथ जुड़ा हुआ है। उनके साथ पहले से ही इस पद पर कार्यरत पीके मिश्रा भी होंगे।
दास की नियुक्ति हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनके कार्यकाल में उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार के बीच संबंधों को नया आयाम दिया। यह नियुक्ति इस बात का प्रमाण है कि सरकार ने उनके आर्थिक नीतियों के शोध और रचनात्मकता पर विश्वास जताया है।

उनकी भूमिका और उपलब्धियां
आरबीआई गवर्नर के रूप में दास का कार्यकाल 2018 से 2023 तक रहा जहां उन्होंने कई आर्थिक संकटों का सफलतापूर्वक प्रबंधन किया। 2016 में नोटबंदी और 2020 के कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान उन्होंने बाजारों की स्थिरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, उनकी नीतियों ने आरबीआई और सरकार की कार्यप्रणाली को एक-दूसरे के साथ बेहतर तरीके से समन्वयित किया।
शक्तिकांत दास ने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में मास्टर्स किया है, और इसके बाद वे आर्थिक मामलों और राजस्व सचिव जैसे उच्च पदों पर भी रह चुके हैं। प्रधानमंत्री के दूसरे प्रधान सचिव के रूप में उनकी नियुक्ति यह दिखाती है कि उनके पास governmental और आर्थिक नीति में उनका अनुभव कितना महत्वपूर्ण है।
दास की नई भूमिका से आर्थिक नीति में स्थिरता और शक्ति बढ़ने की उम्मीद है, जिससे न केवल प्रशासनिक कार्यों में मदद मिलेगी, बल्कि संभावित आर्थिक चुनौतियों का सामना भी किया जा सकेगा। उनका बड़ा अनुभव और नीतिगत समझ इस नए कार्यकाल में देश की प्रगति में अमूल्य योगदान देगा।