UPSC चेयरमैन मनोज सोनी का इस्तीफ़ा: IAS प्रशिक्षु पूजा खेड़कर विवाद के बीच इस्तीफ़ा दे दिया

जुल॰, 20 2024

UPSC के चेयरमैन मनोज सोनी का इस्तीफ़ा और राजनीतिक हंगामा

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष मनोज सोनी ने अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया है, जिसे कई राजनीतिक हलकों में एक बड़े विवाद के रूप में देखा जा रहा है। इस इस्तीफे के बाद कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने भारी आक्रोश जताया है और अनेक सवाल उठाए हैं। मनोज सोनी का इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब आयोग कई विवादों से घिरा हुआ है, विशेषकर IAS प्रशिक्षु पूजा खेड़कर के मामले को लेकर।

मनोज सोनी का इस्तीफ़ा

पिछले शनिवार को मनोज सोनी ने UPSC के चेयरमैन पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया। वह 2029 तक इस पद पर बने रहने वाले थे लेकिन उन्होंने केवल एक साल बाद ही पद छोड़ दिया। इस्तीफे के पीछे उन्होंने व्यक्तिगत कारण बताते हुए कहा कि वह अब 'सामाजिक-धार्मिक गतिविधियों' पर अधिक समय देना चाहते हैं।

हालांकि, राजनीतिक जानकार इसे सामान्य इस्तीफा नहीं मान रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह इस्तीफा UPSC और उसके कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े करता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सोनी को मौजूदा विवादों की वजह से 'बाहर धकेला' गया है।

पूजा खेड़कर का विवाद

UPSC के इस वक्त के सबसे बड़े विवादों में से एक है IAS प्रशिक्षु पूजा खेड़कर का मामला। UPSC ने पूजा खेड़कर पर झूठी पहचान का इस्तेमाल कर सिविल सेवा परीक्षाओं में शामिल होने का आरोप लगाया है। आयोग ने उनके खिलाफ अपराधी मुकदमा दर्ज किया है और उन्हें भविष्य की चयन प्रक्रियाओं से बाहर करने की प्रक्रिया शुरू की है।

इस विवाद ने पूरे आयोग का ध्यान खींचा है और मनोज सोनी के इस्तीफे के पीछे इसे एक प्रमुख कारण के रूप में देखा जा रहा है। पूजा खेड़कर की अखिल भारतीय सेवा में चयन की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं।

राजनीतिक अड़चनें और संविधानिक संस्थाओं की स्थिति

इस पूरे विवाद ने UPSC जैसी संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर भी बड़े सवाल खड़े किए हैं। UPSC का कार्यकाल किसी भी देश की ब्यूरोक्रेसी और प्रशासनिक ढांचे के लिए अहम माना जाता है, और इस तरह के विवाद इस प्रतिष्ठित संस्था की विश्वसनीयता पर आधात पहुचाते हैं।

जयराम रमेश ने अपने बयान में कहा कि संवैधानिक संस्थाओं में इस तरह के दबावों से कामकाज की स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है और इससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि मनोज सोनी का जाना इसे और गहरा बनाता है और उन्होंने वर्तमान सरकार पर संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया।

UPSC का भविष्य

मनोज सोनी के इस्तीफे के बाद, UPSC के सामने कई चुनौतियाँ खड़ी हो गई हैं। आयोग को नए चेयरमैन की नियुक्ति करनी होगी और पूजा खेड़कर के मामले में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस संदर्भ में UPSC के कामकाज में सुधार की आवश्यकता है ताकि ऐसे विवाद भविष्य में न हों। साथ ही, संवैधानिक संस्थाओं को राजनीतिक दबावों से दूर रखते हुए उनकी स्वायत्तता को बनाए रखना जरूरी है।

देखना यह है कि आने वाले दिनों में UPSC इसे कैसे संभालता है और नए चेयरमैन की नियुक्ति के साथ आयोग किस दिशा में आगे बढ़ता है। हालांकि, एक बात तो स्पष्ट है कि आयोग की विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए उसे कठोर कदम उठाने होंगे।

निचोड़

मनोज सोनी का इस्तीफा और पूजा खेड़कर का मामला वर्तमान में यूपीएससी के सबसे बड़े विवादों में से एक है। यह ना केवल आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता पर भी चिंताएं बढ़ा रहा है। आने वाले समय में UPSC को इन विवादों को सुलझाने के साथ-साथ नई राह चुनने की जरूरत है ताकि उसकी प्रतिष्ठा और निष्पक्षता बरकरार रहे।